पटना में 45 लाख की अवैध शराब बरामद, दो ट्रक के चालक और खलासी गिरफ्तार, पंजाब से आई थी खेप

पटना। बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी को एक बार फिर चुनौती देते हुए तस्करों ने पंजाब से बड़ी खेप भेजी थी। गुरुवार को मध निषेध एवं उत्पाद विभाग की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए पटना में दो ट्रकों को पकड़ा। इन ट्रकों से भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद की गई, जिसकी कीमत लगभग 45 लाख रुपये आंकी गई है। इस मामले ने एक बार फिर राज्य में शराबबंदी की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई
मध निषेध एवं उत्पाद विभाग को यह सूचना मिली थी कि दो ट्रकों में विदेशी शराब की बड़ी खेप पंजाब से बिहार लाई जा रही है। टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संदिग्ध ट्रकों को रोका। जब तलाशी ली गई तो उनमें भारी मात्रा में विदेशी शराब छुपाकर रखी गई थी। अधिकारियों के अनुसार, यह खेप मुजफ्फरपुर में खपाई जानी थी।
गिरफ्तार आरोपी और पूछताछ
कार्रवाई के दौरान पुलिस ने दोनों ट्रकों के चालक और खलासी को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की गई है। प्रारंभिक पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं। यह जानकारी मिली है कि शराब माफिया का नेटवर्क राज्य के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है और बाहर के राज्यों से लगातार शराब की सप्लाई की जाती है। इस गिरफ्तारी से नेटवर्क की कड़ियों तक पहुंचने की उम्मीद है।
शराबबंदी पर उठे सवाल
बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। इस कानून के तहत शराब की खरीद-बिक्री, सेवन और परिवहन पूरी तरह प्रतिबंधित है। बावजूद इसके, आए दिन बड़ी मात्रा में शराब की बरामदगी होती रहती है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि इतनी सख्ती और कानूनी प्रावधानों के बावजूद शराब की तस्करी आखिर कैसे जारी है।
पड़ोसी राज्यों से होती है तस्करी
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार की सीमाएं पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जुड़ी हुई हैं, जहां शराब पर कोई प्रतिबंध नहीं है। तस्कर इन राज्यों से शराब की खेप लाकर बिहार में खपाते हैं। सीमाओं पर पर्याप्त निगरानी न होने की वजह से बड़ी मात्रा में शराब ट्रकों और अन्य वाहनों से बिहार पहुंच जाती है। पटना में पकड़ी गई यह खेप भी पंजाब से लाई गई थी।
आर्थिक नुकसान और सामाजिक असर
अवैध शराब का कारोबार न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था और समाज पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। एक ओर सरकार को राजस्व की हानि होती है, वहीं दूसरी ओर सस्ती और नकली शराब के सेवन से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडराता है। कई बार जहरीली शराब पीने से मौत की घटनाएं भी सामने आती हैं।
सरकारी प्रयास और चुनौतियां
सरकार ने शराबबंदी को लागू करने के लिए कई कड़े प्रावधान बनाए हैं। लगातार छापेमारी की जाती है और तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है। इसके बावजूद तस्करी का नेटवर्क इतना मजबूत है कि आए दिन नई घटनाएं सामने आती हैं। यह भी देखा गया है कि शराब माफिया स्थानीय स्तर पर लोगों को लालच देकर इस धंधे में शामिल कर लेते हैं।
जनता की भूमिका और जिम्मेदारी
विशेषज्ञों का कहना है कि शराबबंदी को पूरी तरह सफल बनाने के लिए केवल प्रशासनिक सख्ती ही काफी नहीं है। इसके लिए समाज और जनता की भागीदारी जरूरी है। यदि लोग खुद जागरूक होकर तस्करों की सूचना दें और इस कारोबार से दूरी बनाए रखें तो शराबबंदी को मजबूती मिल सकती है। पटना में 45 लाख की अवैध शराब बरामदगी ने यह साफ कर दिया है कि शराब माफिया अब भी सक्रिय हैं और कानून को चुनौती दे रहे हैं। हालांकि विभाग की सतर्कता से एक बड़ी खेप पकड़ी गई, लेकिन यह घटना इस बात का प्रमाण है कि शराबबंदी को प्रभावी बनाने के लिए और कड़े कदम उठाने होंगे। तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए सीमा पर निगरानी बढ़ानी होगी और जनता को भी इस मुहिम में भागीदार बनना होगा। तभी शराबबंदी का उद्देश्य पूरी तरह सफल हो सकेगा।
