सहरसा में 13 वर्षीय छात्र की करंट लगने से मौत, स्कूल की दीवार फांदने पर हुआ हादसा
सहरसा। बिहार के सहरसा जिले से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक 13 वर्षीय छात्र की करंट लगने से मौत हो गई। मृतक की पहचान शशि कला मध्य विद्यालय, चैनपुर के कक्षा आठवीं के छात्र राजेश कुमार के रूप में हुई है। वह चैनपुर गांव का निवासी था। गुरुवार की सुबह नीलकंठ चौक के समीप जब लोगों ने छात्र का शव देखा तो पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।
स्कूल की दीवार फांदने के दौरान हुआ हादसा
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि छात्र राजेश स्कूल की दीवार फांदकर स्कूल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। इसी दौरान वह किसी विद्युत प्रवाहित तार की चपेट में आ गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि यह हादसा उस समय हुआ जब वह स्कूल से भागने की कोशिश कर रहा था। यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह स्कूल की दीवार क्यों फांद रहा था, लेकिन प्राथमिक जांच के अनुसार, यह पूरी तरह से एक आकस्मिक दुर्घटना है।
गायब छात्र की गुरुवार को मिली लाश
राजेश कुमार बुधवार से ही लापता था और परिजन व स्थानीय लोग उसकी खोज में जुटे थे। लेकिन गुरुवार की सुबह स्कूल परिसर की बाहरी दीवार के पास उसका शव बरामद हुआ। शव मिलने के बाद परिजनों में मातम छा गया और गांव में आक्रोश फैल गया।
स्थानीय लोगों का आक्रोश और सड़क जाम
घटना की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौके पर जुट गए। उन्होंने लापरवाही का आरोप लगाते हुए सड़क जाम कर दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों का कहना था कि स्कूल के पास खुले बिजली के तार और सुरक्षा व्यवस्था की कमी के कारण यह हादसा हुआ है। उनका आरोप था कि यदि विद्यालय प्रशासन और बिजली विभाग सतर्क रहते तो यह हादसा टाला जा सकता था।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
सूचना मिलते ही बनगांव थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने में जुट गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया और आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सदर एसडीपीओ आलोक कुमार भी घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बच्चों की सुरक्षा पर उठते सवाल
इस घटना ने एक बार फिर स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि स्कूल के चारों ओर पर्याप्त सुरक्षा दीवार होती या वहां बिजली के तारों की सुरक्षित व्यवस्था होती, तो शायद यह हादसा नहीं होता। साथ ही यह भी सवाल उठता है कि छात्र स्कूल से क्यों भाग रहा था, क्या उसे किसी तरह का डर या दबाव था? इन सभी पहलुओं पर प्रशासन द्वारा जांच की जानी चाहिए। राजेश कुमार की मौत एक दर्दनाक घटना है, जो न केवल उसके परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि समाज और प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कितनी बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। अब समय है कि सरकार, स्कूल प्रशासन और बिजली विभाग मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि भविष्य में किसी और परिवार को इस तरह की पीड़ा का सामना न करना पड़े।


