एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त, कहा- जिंदा लोगों के नाम कटे, अधिक वोटर्स का नाम कटा तो हस्तक्षेप करेंगे, 12 को अगली सुनवाई

नई दिल्ली/पटना। बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मंगलवार को हुई इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं दोनों से अहम सवाल पूछे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अगर यह पाया गया कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम बिना उचित जांच के हटा दिए गए हैं, तो वह प्रक्रिया में हस्तक्षेप करेगा।
नाम कटने पर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में बताया गया कि इस प्रक्रिया के तहत करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं। उनका दावा है कि इनमें कई ऐसे लोग हैं जो जीवित हैं, लेकिन उनका नाम यह कहकर हटा दिया गया कि वे मृत हो चुके हैं या कहीं और स्थानांतरित हो गए हैं। इस पर न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने टिप्पणी की कि अगर ऐसे 15 लोगों को सामने लाया गया, जिनका नाम जीवित होते हुए भी काटा गया हो, तो अदालत खुद हस्तक्षेप करेगी।
फिलहाल एसआईआर पर रोक नहीं
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर प्रक्रिया पर फिलहाल कोई रोक लगाने से इनकार किया है। कोर्ट ने कहा कि अगर प्रक्रिया में गड़बड़ी साबित होती है, तो इसे पूरी तरह रद्द किया जा सकता है। इससे पहले 24 जुलाई को हुई सुनवाई में अदालत ने वोटर लिस्ट के रिवीजन को संवैधानिक जिम्मेदारी बताया था और इसे जारी रखने की अनुमति दी थी।
चुनाव आयोग से सवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मतदाता पहचान के लिए क्यों नहीं स्वीकार किया जा रहा। आयोग ने राशन कार्ड को स्वीकार करने से मना कर दिया और कहा कि यह व्यापक स्तर पर बनता है और इसके फर्जी होने की संभावना ज्यादा होती है। इस पर कोर्ट ने कहा कि दुनिया में कोई भी ऐसा दस्तावेज नहीं है जिसकी नकल संभव नहीं है, फिर 11 दस्तावेजों को स्वीकार करने के पीछे क्या ठोस आधार है, यह स्पष्ट किया जाए।
65 लाख नाम हटाने पर सवाल
चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को एसआईआर के पहले चरण के आंकड़े जारी किए, जिनमें बताया गया कि बिहार में मतदाताओं की कुल संख्या अब 7.24 करोड़ रह गई है, जो पहले 7.89 करोड़ थी। इस दौरान 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। इसमें 22 लाख ऐसे लोग हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, 36 लाख लोग स्थानांतरित हो चुके हैं और 7 लाख लोग अन्य क्षेत्रों के निवासी बन गए हैं।
सुनवाई की अगली तारीख 12 अगस्त
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 अगस्त तय की है। साथ ही चुनाव आयोग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह दस्तावेजों की मान्यता, नाम हटाने की प्रक्रिया और मतदाता सूची की विश्वसनीयता से जुड़ी सभी जानकारियां कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे। बिहार में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाई है, उससे स्पष्ट है कि मतदाता सूची के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला न केवल संवैधानिक जिम्मेदारी से जुड़ा है, बल्कि मतदाता अधिकारों की रक्षा का भी सवाल है। आने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि आयोग की प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और न्यायसंगत है।
