एसआईआर पर बोले ललन सिंह, देश में नहीं होने चाहिए फर्जी वोटर, ये प्रक्रिया बहुत जरूरी

पटना। भारत में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी बहस जारी है। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री और जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने खुलकर चुनाव आयोग का समर्थन किया है। उन्होंने इस प्रक्रिया को लोकतंत्र को मजबूत करने वाला और संविधान सम्मत बताया।
फर्जी मतदाता सूची पर उठे सवाल
ललन सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए स्पष्ट किया कि चुनाव में फर्जी मतदाताओं की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उनका कहना था कि अगर कोई व्यक्ति इस देश का नागरिक नहीं है, तो उसे वोट देने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई यह पुनरीक्षण प्रक्रिया उन लोगों को चिन्हित करने और सूची से हटाने के लिए है, जो दो स्थानों पर वोटर के रूप में पंजीकृत हैं, या जो स्थायी रूप से विदेश में बस चुके हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यदि एक व्यक्ति दो जगह वोटर सूची में दर्ज है, तो यह लोकतंत्र के साथ धोखा है। वहीं, विदेश में लंबे समय से रहने वाले नागरिकों के नाम भी हटाए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि वे भारत में मतदान की प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते।
लोकतंत्र की मजबूती का सवाल
ललन सिंह ने कहा कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुरूप है और इससे भारतीय लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि विपक्ष इस प्रक्रिया से क्यों डर रहा है? यदि कोई नागरिक भारत में रह रहा है और मतदाता सूची में वैध रूप से पंजीकृत है, तो उसे डरने की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए। यह प्रक्रिया पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है, न कि किसी विशेष वर्ग को नुकसान पहुँचाने के लिए।
प्रह्लाद जोशी का विपक्ष पर हमला
इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल जब भी चुनाव हारने का डर महसूस करते हैं, तो चुनाव आयोग और ईवीएम पर सवाल उठाने लगते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र चुनाव के बाद भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। उनका मानना है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल पहले से ही संभावित हार की आशंका में बहाने खोज रहे हैं।
विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सांसदों ने बिहार में चल रहे इस विशेष गहन पुनरीक्षण के विरोध में संसद भवन के मकर द्वार पर लगातार पांचवें दिन भी प्रदर्शन किया। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक और वंचित समुदायों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं, जिससे निष्पक्ष चुनाव खतरे में पड़ सकता है। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका जनता की बनती है। मतदाता सूची को साफ-सुथरा रखना आवश्यक है, ताकि केवल वही लोग वोट दें जो इसके पात्र हैं। लेकिन इसके साथ-साथ यह भी जरूरी है कि किसी भी नागरिक का नाम गलत तरीके से न हटाया जाए। इसलिए चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सभी पक्षों को भरोसा करना चाहिए। ललन सिंह और अन्य नेताओं द्वारा दिए गए बयान यह दर्शाते हैं कि सरकार चुनाव प्रणाली को निष्पक्ष बनाना चाहती है, वहीं विपक्ष यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी प्रक्रिया अलोकतांत्रिक न हो। इस बहस के बीच एक संतुलित और ईमानदार प्रक्रिया ही लोकतंत्र की असली ताकत साबित होगी।
