सुप्रीम कोर्ट से लालू यादव को बड़ा झटका, निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार, याचिका खारिज

नई दिल्ली/पटना। जमीन के बदले नौकरी घोटाले में राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। अदालत ने लालू यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई ठोस आधार नहीं है। साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।
थोड़ी राहत, मगर अस्थायी
हालांकि अदालत ने लालू यादव को थोड़ी राहत देते हुए उन्हें निचली अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी है। लेकिन यह राहत केवल पेशी से संबंधित है, जबकि उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ही याचिका खारिज की थी
इससे पहले लालू यादव की इसी मांग को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि कार्यवाही पर रोक लगाने की कोई कानूनी वजह नहीं है और मामले को 12 अगस्त तक के लिए स्थगित किया गया था। हाईकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया था।
क्या है लालू यादव की दलील
लालू प्रसाद यादव की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि सीबीआई की एफआईआर और 2022, 2023 व 2024 में दाखिल आरोपपत्र एवं संज्ञान आदेशों को रद्द किया जाए। उनका तर्क था कि यह मामला 14 साल पुराने घटनाक्रम से जुड़ा है, जबकि एफआईआर 2022 में दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि इससे पहले की जांच में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर केस बंद किया जा चुका था। अब उसी मामले को फिर से खोलना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और इससे उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
सीबीआई और ईडी की कार्रवाई
यह मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि इस दौरान रेलवे में ग्रुप-डी की नियुक्तियों के बदले में उम्मीदवारों ने लालू प्रसाद यादव के परिवार या उनके सहयोगियों के नाम पर जमीनें उपहार स्वरूप दीं या हस्तांतरित कीं। 18 मई 2022 को सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की, जिसमें लालू यादव, उनकी पत्नी, बेटियों, सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया। इसी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 14 मई को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 8 मई को लालू यादव पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197(1) (अब नई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218) के तहत दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लालू यादव की कानूनी मुश्किलें बढ़ गई हैं। अदालत ने साफ कर दिया है कि निचली अदालत में चल रही कार्यवाही जारी रहेगी और इस पर कोई रोक नहीं लगेगी। अब सीबीआई, ईडी और न्यायालय की अगली कार्रवाइयों पर नजर रहेगी कि यह बहुचर्चित घोटाला किस दिशा में आगे बढ़ता है। दूसरी ओर, यह मामला एक बार फिर से केंद्र की एजेंसियों और विपक्षी नेताओं के बीच की राजनीतिक खींचतान का विषय बनता नजर आ रहा है।
