August 20, 2025

झारखंड में कोयला खदान धंसने से बड़ा हादसा, अबतक तीन की मौत, पांच मजदूर फंसे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

रामगढ़। झारखंड के रामगढ़ जिले के कुजू स्थित महुआ टुंगरी इलाके से एक बड़ा हादसा सामने आया है, जहां शुक्रवार की रात एक कोयला खदान धंसने से तीन मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई। घटना अवैध खनन गतिविधियों के चलते हुई बताई जा रही है। मृतकों की पहचान वकील करमाली, इम्तियाज और निर्मल मुंडा के रूप में हुई है।
अवैध खनन बना हादसे की वजह
जानकारी के अनुसार जिस खदान में यह हादसा हुआ, वह पहले सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के अंतर्गत थी, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया था। बावजूद इसके, इलाके में अवैध रूप से कोयला निकासी का काम जारी था। घटना के समय लगभग दस मजदूर खदान में काम कर रहे थे, तभी बारिश की वजह से खदान का ढांचा अचानक धंस गया और मजदूर मलबे में दब गए।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
घटना की सूचना मिलते ही राहत-बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। भारी मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम जारी है। अब भी पांच मजदूर खदान के भीतर फंसे हुए हैं, जिनकी स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं है। बचाव दल लगातार कोशिश कर रहा है कि जल्द से जल्द उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। वहीं, घटना स्थल पर बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण और परिजन इकट्ठा हैं, जो अपनों की सलामती की उम्मीद लगाए खड़े हैं।
स्थानीय लोगों की भूमिका और प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय लोगों ने बताया कि इलाके में पहले से ही अवैध खनन हो रहा था, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। अब हादसे के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ है। यह सवाल उठता है कि अगर समय रहते रोकथाम की जाती, तो शायद यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
धनबाद में भी भू-धंसान की घटनाएं
इस हादसे से पहले धनबाद जिले में भी जमीन धंसने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बीसीसीएल के कतरास क्षेत्र की मां अंबे आउटसोर्सिंग परियोजना के समीप केशलपुर मुंडा धौड़ा गांव में शुक्रवार को ही एक और भू-धंसान की घटना घटी। यहां लगभग 11 बजे जोरदार आवाज के साथ जमीन में बड़ा गोफ बन गया, जिससे पांच घरों को नुकसान पहुंचा। सौभाग्य से घटना के वक्त कोई घर के अंदर नहीं था, अन्यथा जानमाल की बड़ी क्षति हो सकती थी।
ग्रामीणों में दहशत का माहौल
धनबाद की इस घटना के बाद से ग्रामीणों में भारी दहशत है। कई लोगों ने अपने घर छोड़कर सामान दूसरी सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया है। बताया जा रहा है कि बीसीसीएल ने पहले ही इन इलाकों को डेंजर जोन घोषित करते हुए खाली करने का निर्देश जारी किया था, लेकिन पुनर्वास की उचित व्यवस्था न होने के कारण लोग अभी भी वहीं रह रहे हैं।
सरकारी लापरवाही पर सवाल
इन घटनाओं ने एक बार फिर सरकारी एजेंसियों और खनन कंपनियों की जिम्मेदारी पर सवाल खड़ा कर दिया है। बंद खदानों में अवैध खनन और पुनर्वास की अनदेखी से लगातार आम लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है।
जरूरी है सख्त कार्रवाई
अब यह जरूरी हो गया है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, जिन क्षेत्रों को डेंजर जोन घोषित किया गया है, वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित किया जाए। झारखंड जैसे खनिज संपदा से भरपूर राज्य में यदि अवैध खनन और लापरवाही यूं ही जारी रही, तो ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी। प्रशासन और कंपनियों को यह समझना होगा कि सुरक्षा और मानव जीवन की कीमत, कोयले की कीमत से कहीं अधिक है।

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