पप्पू यादव ने चुनाव आयोग को बताया आरएसएस ऑफिस, कहा- आर-पार की लड़ाई होगी, गरीबों के लिए जान देंगे

पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर से तीखी बयानबाज़ी देखने को मिली है। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने चुनाव आयोग को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने चुनाव आयोग को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का दफ्तर करार देते हुए कहा कि यह अब संवैधानिक संस्था की मर्यादा से बाहर होता जा रहा है। पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि आयोग का आचरण निष्पक्षता के मापदंडों से हट गया है और अब यह सत्ता पक्ष के हित में कार्य कर रहा है।
संवैधानिक संस्थाओं पर खतरा
पप्पू यादव ने कहा कि देश की संवैधानिक संस्थाओं पर खतरा मंडरा रहा है और यह लोकतंत्र के लिए गंभीर संकेत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब आर-पार की लड़ाई का समय आ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो गरीबों के अधिकारों और बिहार की अस्मिता के लिए वे अपनी जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कांग्रेस के प्रभारी नेताओं से इस मुद्दे पर बातचीत की बात भी कही और इसे एक बड़ा राजनीतिक संघर्ष बताया।
केजरीवाल के बिहार में चुनाव लड़ने पर प्रतिक्रिया
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा बिहार में चुनाव लड़ने की घोषणा पर पप्पू यादव ने स्वागत किया, लेकिन साथ ही तंज कसते हुए कहा कि रस्सी जल गई है पर ऐंठन अभी बाकी है। उनका इशारा शायद इस ओर था कि पुरानी राजनीतिक सोच और कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है, चाहे कोई भी दल हो।
भाजपा सांसद का पलटवार
वहीं दूसरी ओर, भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने पप्पू यादव पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वे हमेशा बूथ लूट कर विधायक बनते रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस बार पप्पू यादव को राजद नेता तेजस्वी यादव का आशीर्वाद प्राप्त था और उनके समर्थन से ही वे चुनावी मैदान में उतर पाए। संजय जायसवाल ने यह भी कहा कि तेजस्वी ने जानबूझकर एक अति पिछड़ा समाज की महिला प्रत्याशी को उतारा ताकि वोटों का बंटवारा हो सके और इसका सीधा लाभ पप्पू यादव को मिले।
वोटर पुनरीक्षण पर भी टिप्पणी
भाजपा सांसद ने चल रहे वोटर पुनरीक्षण को लेकर भी विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में सिर्फ 70-80 लाख लोगों को ही दस्तावेज दिखाने की आवश्यकता है, जबकि 5 करोड़ से अधिक लोगों को कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि जो लोग पढ़ते नहीं, समझते नहीं और जो मान चुके हैं कि वे 2025 का विधानसभा चुनाव हारने वाले हैं, वही लोग इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं।
लालू यादव पर भी निशाना
संजय जायसवाल ने लालू यादव का नाम लेते हुए कहा कि जब उनके शासनकाल में कोई घोटाला इस प्रक्रिया में नहीं हुआ, तो अब क्यों कोई अनियमितता होगी? उन्होंने यह भी दावा किया कि विपक्ष जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है और अपने चुनावी पराजय की आहट को पहले से ही स्वीकार कर चुका है।
राजनीतिक संघर्ष की तैयारी
पप्पू यादव और संजय जायसवाल के बीच तीखे बयान से यह साफ हो गया है कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल धीरे-धीरे गर्म होता जा रहा है। पप्पू यादव अपनी तेजतर्रार शैली में एक बार फिर सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं, जबकि भाजपा अपनी प्रशासनिक कार्यप्रणाली और योजनाओं को लेकर आत्मविश्वास में दिख रही है। बिहार की राजनीति में चुनाव से पहले इस तरह के बयानों की बाढ़ सामान्य है, लेकिन जब कोई जनप्रतिनिधि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर आरोप लगाता है, तो यह राजनीतिक विमर्श को गंभीर मोड़ दे सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस राजनीतिक टकराव का असर बिहार की जनता और लोकतंत्र पर क्या पड़ता है।

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