कर्नाटक में कांग्रेस में टकराव के बीच सिद्धारमैया का बड़ा दावा, कहा- कोई चाहे कुछ भी कहे 5 साल मैं सीएम रहूंगा

बेंगलुरु। कर्नाटक की राजनीति में बीते कुछ दिनों से कांग्रेस के भीतर हलचल तेज हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन अटकलों पर पूर्ण विराम लगाते हुए साफ कहा है कि वे पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे और इस पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
सिद्धारमैया का बयान – नेतृत्व को लेकर कोई भ्रम नहीं
बुधवार को मीडिया से बात करते हुए सिद्धारमैया ने सीधे कहा, “हां, मैं मुख्यमंत्री हूं। इसमें किसी को कोई संदेह क्यों है?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाजपा और जेडीएस की ओर से बदलाव की जो बातें की जा रही हैं, उनका कोई अर्थ नहीं है क्योंकि फैसला कांग्रेस हाईकमान ही लेता है, न कि विपक्षी दल।
डीके शिवकुमार खेमा हुआ नरम
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खेमे की आक्रामकता में कमी देखी जा रही है। जहां मंगलवार तक यह दावा किया जा रहा था कि शिवकुमार के पास 100 विधायकों का समर्थन है और वे मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, वहीं अब खुद शिवकुमार ने इस पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि उनके किसी भी समर्थक विधायक ने अगर पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयान दिया है, तो उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा।
विधायक इकबाल हुसैन को नोटिस
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा नाम सामने आया विधायक इकबाल हुसैन का, जिन्होंने खुले मंच से दावा किया था कि शिवकुमार के पास 100 विधायकों का समर्थन है और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। इस बयान के बाद कांग्रेस में खलबली मच गई। शिवकुमार ने खुद इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पार्टी अनुशासन सर्वोपरि है और वे इकबाल हुसैन को नोटिस जारी करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे अन्य विधायकों से भी व्यक्तिगत तौर पर बात करेंगे ताकि ऐसी स्थिति फिर न उत्पन्न हो।
हाईकमान की भूमिका और हस्तक्षेप
इस पूरे विवाद पर कांग्रेस हाईकमान भी सक्रिय रहा। सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक यह मामला पहुंचा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर अंतिम निर्णय केवल हाईकमान करेगा। मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी हस्तक्षेप करते हुए डीके शिवकुमार के साथ मीडिया के सामने आकर यह संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी में सब कुछ सामान्य है और नेतृत्व को लेकर कोई टकराव नहीं है।
भविष्य की राजनीति पर असर
कर्नाटक में यह खींचतान ऐसे समय हो रही है जब कांग्रेस को राज्य में हाल ही में विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली थी। यह विवाद अगर लंबा खिंचता है तो न केवल पार्टी की छवि प्रभावित होगी बल्कि संगठनात्मक एकता पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों अनुभवी नेता हैं और पार्टी हित को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं, लेकिन दोनों गुटों के समर्थकों में तनाव अभी भी मौजूद है।
नेतृत्व की स्थिरता और पार्टी अनुशासन जरूरी
कर्नाटक में कांग्रेस को स्थिर और मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है ताकि विकास कार्यों और नीतियों को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जा सके। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जहां अपने पूरे कार्यकाल तक पद पर बने रहने की बात कही है, वहीं शिवकुमार गुट का नरम रुख इस दिशा में सकारात्मक संकेत देता है। अब देखना यह होगा कि पार्टी हाईकमान इस अंतरविरोध को किस प्रकार पूरी तरह समाप्त करता है और कांग्रेस किस तरह इस आंतरिक चुनौती से उभरकर एकजुट होकर आगे बढ़ती है।
