November 17, 2025

15 जून को कांग्रेस विधायकों की पटना में होगी मीटिंग, बिहार प्रभारी समेत कई दिग्गज नेता रहेंगे मौजूद

पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। 12 जून को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव द्वारा महागठबंधन की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें सभी सहयोगी दलों से संभावित उम्मीदवारों की सूची मांगी गई। इसके तुरंत बाद कांग्रेस ने भी अपनी रणनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी ने 15 जून को पटना के होटल मौर्य में पार्टी विधायकों की अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक को आगामी चुनाव के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पार्टी के प्रवक्ता राजेश राठौर ने जानकारी दी कि बैठक में बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावरु के साथ कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। बैठक में न केवल सीट बंटवारे को लेकर चर्चा होगी, बल्कि चुनावी मुद्दों और आगामी रणनीति पर भी गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार, विधायक दल की इस बैठक में कांग्रेस नेतृत्व द्वारा विधायकों से ज़मीनी फीडबैक भी लिया जाएगा, ताकि बिहार में पार्टी की स्थिति को बेहतर किया जा सके। गौरतलब है कि राहुल गांधी इस वर्ष अब तक बिहार के पांच दौरे कर चुके हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि कांग्रेस इस बार चुनाव में केवल सहायक भूमिका में नहीं, बल्कि एक निर्णायक ताकत के रूप में उतरना चाहती है। राहुल गांधी ने कांग्रेस को ‘माई-बहिन योजना’ और युवाओं को नौकरी दिलाने जैसे जनसरोकार से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय रहने का निर्देश दिया है। यह दोनों मुद्दे लंबे समय से राजद के कोर एजेंडे में रहे हैं, लेकिन अब कांग्रेस ने भी इन पर केंद्रित अभियान शुरू कर दिया है। सूत्रों की मानें तो बैठक में विधायकों को ‘माई-बहिन योजना’ के तहत अधिक से अधिक महिलाओं का पंजीकरण करवाने का कार्य सौंपा जा सकता है। पार्टी चाहती है कि इस योजना के माध्यम से ग्रामीण और महिला मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच को मजबूत किया जाए। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटों पर लड़ने का मौका मिला था, जिनमें से वह मात्र 19 पर जीत दर्ज कर पाई थी। इसके बाद पार्टी के कुछ विधायक बागी हो गए थे, जिससे पार्टी की स्थिति और भी जटिल हो गई। वहीं महागठबंधन में अब 6 दल शामिल हैं, जिनमें विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी एक है। ऐसे में कांग्रेस को इस बार कम सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। वामपंथी दलों और राजद की ओर से कांग्रेस की 2020 की कमजोर स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए सीट घटाने की मांग भी की जा रही है। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व किसी भी सूरत में कम सीटें लेने को तैयार नहीं है। पार्टी की मांग है कि उसे पिछली बार की तरह इस बार भी कम-से-कम 70 सीटें दी जाएं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर कांग्रेस महागठबंधन में अपना प्रभाव कायम रखना चाहती है, तो उसे संगठनात्मक स्तर पर मजबूती के साथ-साथ जनसमस्याओं पर भी स्पष्ट एजेंडा के साथ उतरना होगा। 15 जून की बैठक में लिए गए निर्णयों से यह स्पष्ट हो सकेगा कि कांग्रेस बिहार में विपक्ष के भीतर अपनी स्थिति को कैसे मज़बूत करती है।

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