December 8, 2025

पटना में साइबर अपराधियों ने डाक्टर दंपति को बनाया निशाना, 1.97 करोड रुपए ठगे, सीबीआई अधिकारी बनकर धमकाया

पटना। पटना में साइबर अपराधियों ने एक बार फिर लोगों की भरोसेमंद छवि और सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए बड़ा साइबर फ्रॉड किया है। इस बार शिकार बने हैं पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के रिटायर्ड डॉक्टर डॉ. राधे मोहन प्रसाद और उनकी पत्नी। ठगों ने उन्हें डिजिटल तरीके से ‘अरेस्ट’ करते हुए मानसिक रूप से डराया और 1.97 करोड़ रुपये की ठगी कर ली।
सीबीआई अधिकारी बनकर दी गई धमकी
पूरा मामला 22 मई से शुरू हुआ, जब डॉक्टर दंपति को एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को एक सरकारी अधिकारी बताया और दावा किया कि डॉक्टर दंपति के मोबाइल नंबर से किसी आर्थिक धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया है। कॉलर ने कहा कि उनके खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं और वे “मोस्ट वांटेड” घोषित हो चुके हैं। इसके बाद कॉलर ने धमकी दी कि अगर वे तुरंत कार्रवाई नहीं करते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। कॉल में इतना डर पैदा किया गया कि दंपति घबरा गए और अपनी सफाई देने के चक्कर में ठगों की चाल में फंसते चले गए।
डिजिटल अरेस्ट और लगातार मनोवैज्ञानिक दबाव
साइबर अपराधियों ने डॉक्टर दंपति को डिजिटल तौर पर ‘अरेस्ट’ कर लिया। इसका मतलब है कि उन्हें वीडियो कॉल पर घंटों तक बैठाकर, लगातार सरकारी अफसरों की तरह सवाल-जवाब किए गए। इस दौरान उन्हें घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी गई और उनका हर पल का गतिविधि पर निगरानी रखी गई। लगातार तनाव और डर के माहौल में, ठगों ने उन्हें यह यकीन दिला दिया कि वे किसी असली जांच एजेंसी से जुड़े अधिकारी हैं।
बैंक खातों से करवाया गया आरटीजीएस
डॉक्टर दंपति से यह कहा गया कि यदि वे निर्दोष हैं, तो उन्हें कुछ रकम एक विशेष सरकारी खाते में ट्रांसफर करनी होगी, जिससे उनके द्वारा की गई किसी भी गलत गतिविधि की जांच की जा सकेगी। इसी बहाने उनसे एक के बाद एक 25-25 लाख रुपये की रकम मंगवाई गई। कुल मिलाकर यह रकम 1.95 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। बैंक खातों से यह पूरी रकम आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कराई गई। ठगों ने पूरा माहौल ऐसा बना दिया कि डॉक्टर दंपति को यह सब कुछ एक वैध सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा लगने लगा।
ठगी का खुलासा और पुलिस कार्रवाई
जब डॉक्टर दंपति को शक हुआ कि वे किसी फ्रॉड का शिकार हो चुके हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ठगों ने कॉल करना बंद कर दिया और उनके द्वारा बताए गए सभी नंबर बंद हो चुके थे। इसके बाद डॉक्टर दंपति ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर सेल को जांच सौंप दी गई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मामला बेहद संगठित तरीके से की गई साइबर ठगी का उदाहरण है और इसके पीछे एक अंतरराज्यीय गिरोह हो सकता है।
साइबर सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता
यह घटना यह दर्शाती है कि साइबर अपराधी अब सिर्फ तकनीकी माध्यमों से नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव और सरकारी एजेंसियों की छवि का गलत इस्तेमाल करके भी लोगों को ठगने लगे हैं। यह मामला उन सभी लोगों के लिए चेतावनी है जो तकनीक का इस्तेमाल करते हैं लेकिन साइबर सुरक्षा के प्रति सजग नहीं रहते। पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल या मैसेज के माध्यम से मांगी गई जानकारी या राशि को गंभीरता से न लें। सरकारी अधिकारी इस प्रकार से किसी आम नागरिक से पैसे नहीं मांगते और न ही डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई वैध प्रक्रिया होती है। जरूरत पड़ने पर तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम शाखा से संपर्क करना चाहिए।

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