मणिपुर में सरकार बनाने की तैयारी में बीजेपी, 10 विधायक राज्यपाल के पास पहुंचे, 22 विधायकों का दिया समर्थन पत्र

इम्फाल। मणिपुर में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। लंबे समय से राष्ट्रपति शासन झेल रहे इस पूर्वोत्तर राज्य में अब सरकार बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। बुधवार को 10 विधायकों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिला और सरकार गठन का दावा पेश किया।
22 विधायकों के समर्थन का दावा
राज्यपाल से मिलने पहुंचे विधायकों में 8 भाजपा के, एक नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। इन नेताओं ने राज्यपाल को एक समर्थन पत्र सौंपा, जिसमें कुल 22 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत सिंह ने कहा कि यह पहल सभी एनडीए विधायकों की ओर से की गई है, और वे जल्द से जल्द एक स्थिर व लोकप्रिय सरकार के गठन की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।
बहुमत का आंकड़ा और वर्तमान स्थिति
मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं, जिसमें सरकार बनाने के लिए कम से कम 31 विधायकों का समर्थन जरूरी होता है। हालांकि भाजपा के पास पहले से ही 37 विधायक हैं, जो अपने आप में स्पष्ट बहुमत का संकेत है। लेकिन राज्य में जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण सरकार की बागडोर संभालने में हिचक देखी गई थी। फिलहाल एनडीए के कुल 42 विधायक माने जा रहे हैं, जिनमें भाजपा के अलावा नेशनल पीपल्स फ्रंट के 5 विधायक भी शामिल हैं।
राष्ट्रपति शासन की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है। इससे पहले 9 फरवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। उन पर लंबे समय से चली आ रही जातीय हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप था। 3 मई 2023 से शुरू हुई मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा में अब तक 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हुए हैं। इस हिंसा ने राज्य को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से झकझोर कर रख दिया।
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राजनीतिक संकट
बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रमुख चेहरा रहे एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में नेतृत्व शून्यता बनी हुई थी। केंद्र सरकार की ओर से राज्य में शांति व्यवस्था बहाल करने के प्रयास किए गए, लेकिन स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाई। ऐसे में विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व से मणिपुर की स्थिति को लेकर जवाब मांगते रहे।
नई सरकार को लेकर उम्मीदें
अब जबकि विधायकों का एक समूह सरकार बनाने का दावा कर चुका है, राज्य में स्थायित्व और सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीदें भी बंधी हैं। अगर राज्यपाल समर्थन पत्र की वैधता की जांच कर संतुष्ट होते हैं, तो जल्द ही राज्य में एक नई सरकार का गठन हो सकता है।
जनता की नजरें सरकार पर टिकीं
मणिपुर की जनता लंबे समय से एक मजबूत और जवाबदेह सरकार की प्रतीक्षा कर रही है। जातीय हिंसा, विस्थापन और प्रशासनिक शिथिलता के बीच लोगों की उम्मीदें अब इस नई पहल से जुड़ गई हैं। अगर सरकार का गठन होता है, तो उसकी पहली जिम्मेदारी राज्य में शांति बहाल करने और जनता के विश्वास को फिर से अर्जित करने की होगी। मणिपुर में सरकार गठन की प्रक्रिया से राज्य में एक नई राजनीतिक शुरुआत की संभावना दिख रही है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह गठबंधन किस हद तक स्थायी साबित होगा और क्या यह राज्य को हिंसा और अस्थिरता से निकालकर विकास और स्थायित्व की राह पर ले जा सकेगा।

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