पटना के पीएमसीएच से कैदी फरार, पुलिस महकमें में हड़कंप, तलाश जारी
पटना। राजधानी पटना के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच (पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल) से एक कैदी के फरार होने की घटना ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना के बाद से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है और फरार कैदी की तलाश में छापेमारी की जा रही है।
चिकित्सीय जांच के लिए लाया गया था अस्पताल
घटना उस वक्त की है जब गांधी मैदान थाना पुलिस ने राघोपुर निवासी दो आरोपियों, सरफराज उर्फ गोलू और सरोज को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद नियमानुसार दोनों को न्यायालय में पेश करने से पहले चिकित्सीय जांच के लिए पीएमसीएच लाया गया। जांच के दौरान आरोपी सरोज ने पुलिस से शौचालय जाने की इजाजत मांगी। पुलिस ने उसे बाथरूम जाने की अनुमति दी लेकिन यहीं से उसने फरार होने की योजना को अंजाम दिया।
टूटी खिड़की से निकला अस्पताल से बाहर
सरोज ने अस्पताल के शौचालय में जाकर वहां की टूटी हुई खिड़की का इस्तेमाल किया और वहां से निकलकर फरार हो गया। काफी देर तक जब वह बाथरूम से बाहर नहीं आया तो पुलिसकर्मी संजय कुमार सिंह ने वहां जाकर जांच की, लेकिन अंदर कोई नहीं था। इसके बाद पुलिस ने अस्पताल परिसर में उसकी खोजबीन शुरू की, लेकिन तब तक सरोज फरार हो चुका था।
फरार कैदी की पहचान और तलाशी अभियान
फरार कैदी की पहचान सरोज के रूप में हुई है जो वैशाली जिले के राघोपुर प्रखंड के रामपुर श्यामचंद गांव का निवासी है। पुलिस ने पीरबहोर थाना क्षेत्र में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और उसकी गिरफ्तारी के लिए विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। गांधी मैदान थाना पुलिस के साथ ही अन्य टीमें भी उसकी तलाश में जुट गई हैं।
सुरक्षा चूक ने खोली पुलिस की पोल
इस घटना ने साफ तौर पर पटना पुलिस की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। यह सोचने वाली बात है कि बिहार के सबसे बड़े और संवेदनशील सरकारी अस्पताल में एक कैदी बिना किसी विशेष निगरानी के सिर्फ बाथरूम जाने के बहाने से भाग सकता है। अस्पताल परिसर में निगरानी और पुलिस की सतर्कता की स्थिति पर अब गंभीर मंथन जरूरी है।
भविष्य में सुधार की जरूरत
कैदी के फरार होने की यह घटना कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिसमें पुलिस की निगरानी में लापरवाही पाई गई। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि कैदियों को अस्पताल लाने पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए और ऐसे स्थानों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए। साथ ही अस्पताल प्रशासन को भी इस तरह की खिड़कियों और दरवाजों की स्थिति की नियमित जांच करनी चाहिए ताकि कोई इसका गलत फायदा न उठा सके। पटना के पीएमसीएच से कैदी सरोज के फरार होने की यह घटना न सिर्फ पुलिस तंत्र की नाकामी है, बल्कि यह आने वाले समय में कानून व्यवस्था के लिए भी खतरे की घंटी है। अब देखना यह है कि पुलिस कितनी जल्दी इस फरार कैदी को पकड़ पाती है और क्या ऐसे मामलों से कोई सबक लिया जाएगा या फिर ये घटनाएं यूं ही दोहराई जाती रहेंगी।


