मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का प्रकोप: सामने आए दो नए मामले, अब तक 10 बच्चों में पुष्टि
मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर में मौसम के बदलाव के साथ ही एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस), जिसे आम भाषा में चमकी बुखार कहा जाता है, फिर से अपना प्रकोप दिखाने लगा है। हाल ही में दो और बच्चों में इस बीमारी की पुष्टि हुई है, जिससे अब तक जिले में कुल 10 बच्चे इसकी चपेट में आ चुके हैं। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गया है।
हालिया मामले और अस्पताल में भर्ती
जिन दो बच्चों में एईएस की पुष्टि हुई, उनमें एक बच्चा पारू और दूसरा मीनापुर प्रखंड से है। मीनापुर के राधा साहनी के दो साल के बेटे सत्यम कुमार को अचानक बुखार और झटके आने लगे, जिसे स्थानीय सीएचसी में भर्ती कराया गया। वहां से कोई सुधार न होने पर उसे एसकेएमसीएच अस्पताल में रेफर किया गया। पीकू वार्ड में इलाज के दौरान उसका ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजा गया, जहां एईएस की पुष्टि हुई। वहीं, पारू निवासी संतोष पटेल के पांच वर्षीय पुत्र हर्ष राज को भी तेज बुखार हुआ, जिसे पीकू वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। बाद में उसके सैंपल की जांच में भी एईएस की पुष्टि हो गई।
डॉक्टरों की राय और स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गोपाल शंकर सहनी के अनुसार, दोनों बच्चों की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है और वे रिकवरी की ओर हैं। जिले में बढ़ते मामलों को देखते हुए सदर अस्पताल में एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जो 24 घंटे खुले रहेगा। वहां स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद मिल सके।
बच्चों की देखभाल में सावधानी जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि छोटे बच्चे अपनी समस्याओं को ठीक से नहीं बता सकते, इसलिए उनकी देखभाल में बड़ों को अधिक सतर्क रहना होगा। खासकर गर्मी के मौसम में उन्हें उबालकर ठंडा किया हुआ पानी देना चाहिए ताकि डायरिया से बचाव हो सके। अगर बच्चा दस्त या डायरिया से पीड़ित हो, तो तुरंत ओआरएस दिया जाना चाहिए और भरपूर मात्रा में पानी पिलाया जाए। इसके साथ ही घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जा रही है, क्योंकि इस मौसम में मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता है, जो अन्य बीमारियों को भी न्योता दे सकता है।
सावधानी ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय
चमकी बुखार खासकर छोटे बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है, इसलिए समय रहते इलाज और सावधानी बेहद जरूरी है। एईएस से बचाव के लिए बच्चों को साफ पानी, संतुलित आहार और स्वच्छ वातावरण देना आवश्यक है। जिले में अब तक सामने आए मामलों को देखते हुए लोगों को सजग रहने और बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।


