वक़्फ संशोधन विधेयक- सीबीआई तथा ईडी की कार्रवाई से दबाव में जदयू..तो क्या डर-सहम कर दिया समर्थन!

पटना।(बन बिहारी)।वक़्फ संशोधन विधेयक को लेकर जदयू के द्वारा किए गए समर्थन के बाद बिहार के राजनीती गर्मा गई है। एक तरफ तो खुद को सेकुलर पार्टी करने वाली जदयू के सामने अपने ही पार्टी के नाराज मुसलमान लीडरों ने बगावत के आवाज बुलंद कर दिए हैं।तो दूसरी तरफ जदयू के द्वारा वक़्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पारित करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार के पक्ष में किए गए मतदान को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है।बताया जा रहा है कि जदयू के द्वारा वक़्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान केंद्रीय एजेंसियों सीबीआई तथा ईडी के कार्रवाइयों के दबाव में किया गया। पॉलिटिकल कॉरिडोर में लग रहे चर्चाओं के मुताबिक कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार की एजेंसियां सीबीआई तथा ईडी के द्वारा पिछले दिनों राजधानी पटना में की गई छापेमारी की कार्रवाई के बाद जदयू भाजपा के दबाव में आ गई है।वैसे पहले से भी जदयू भाजपा के दबाव में चल रही थी।जानकार सूत्रों के अनुसार पिछले 24 मार्च को राजधानी पटना में बेगूसराय से दिल्ली तक रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के ठिकानों पर सीबीआई के द्वारा छापेमारी की गई।बताया जाता है कि रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड जदयू के एक बड़े राजनेता के करीबी व्यक्ति का है।इस रेड की कार्रवाई का सीधा प्रभाव उक्त राजनेता के राजनीतिक ‘सेहत’ पर भी पड़ सकता है।इस छापेमारी के बाद उक्त कंपनी के बड़े अधिकारी तथा एनएचएआई के कई अफसरों पर भी कार्रवाई की गई।इसके बाद 27 मार्च को राजधानी पटना में भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी दास के ठिकानों पर ईडी के द्वारा छापेमारी की गई। सूत्रों के मुताबिक इस छापेमारी में जहां बड़े पैमाने पर नगदी तथा संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए।वहीं दूसरी तरफ ईडी को बिहार सरकार में व्याप्त एक बड़े करप्ट नेक्सस का पता चला।जिसके तार नीतीश मंत्रिमंडल के मंत्रियों से भी जुड़े बताए जाते हैं।भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी दास के ठिकानों पर जेल में बंद आईएएस अधिकारी संजीव हंस के मामलों के आधार पर छापेमारी की गई।जानकार सूत्रों के मुताबिक संजीव हंस के मामले में एक करप्ट हाई प्रोफाइल कारोबारी के गतिविधियों को ईडी ने सर्विलांस में ले रखा था।जिसके बाद यह जानकारी सामने आए कि भवन निर्माण विभाग में करोड़ों के ठेकों में बड़े “खेल’ खेले गए हैं।इसके बाद मुख्य अभियंता के ठिकानों पर छापेमारी की गई।जिन्हें बाद में विभागीय कार्रवाई के तहत निलंबित भी कर दिया गया है। मगर छापेमारी में होश उड़ाने वाले चौंकाने वाले प्रमाणिक दस्तावेज ईडी के हाथों लग गए।बताया जाता है कि इस छापेमारी के बाद नीतीश सरकार में शामिल कई मजबूत कद्दावर हस्तियों के ‘डिस्टर्ब’ हो जाने के आसार बढ़ गए।ऐसे में भाजपा के खिलाफ सीएम नीतीश की कानों में ‘गुनगुनाने’ वाले सभी नेता ‘ठंडे” पड़ गए।इतना ही नहीं सत्ता के ‘पावर हाउस’ को भी इस बात का एहसास हो गया कि अभी भाजपा के खिलाफ किसी प्रकार का स्टैंड वर्तमान में अपनी ही करीबियों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।इसके इतर सबसे बड़ी बात यह रही कि इससे सुशासन के साफ़ सुथरे ‘इमेज’ को भी गहरा धक्का पहुंच सकता है।इसलिए वक़्फ संशोधन विधेयक में मतदान के दौरान जदयू सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान किया।जबकि बिहार में पिछले 20 वर्षों से जदयू का स्टैंड अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर बेहद क्लियर रहा है।वैसे प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में जदयू के द्वारा वक़्फ संशोधन विधेयक को लेकर भाजपा को दिए गए समर्थन के बाद राष्ट्रीय मुद्दों में भाजपा के समक्ष जदयू की सरेंडर की तस्वीर साफ दिखनी लगी है।।वैसे केंद्रीय मंत्री ललन सिंह,सांसद तथा कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा समेत तमाम जदयू के बड़े नेता इस मामले को लेकर राजनीतिक बयान बाजी में व्यस्त हैं।विभिन्न राजनीतिक मोर्चों में जदयू के द्वारा अपने स्टैंड के पक्ष में विभिन्न प्रकार के शिगूफे पेश किए जा रहे हैं।
