रामनवमी पर अयोध्या के श्रद्धालुओं से ट्रस्ट की अपील, गर्मी से सावधान रहे, साथ में पानी की बोतल और सत्तू जरूर रखें

- ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बोले, मंदिर में छांव की व्यवस्था नहीं, श्रद्धालु गर्मी से बचने के इंतजाम स्वयं करें
अयोध्या। राम की नगरी अयोध्या में रामनवमी को लेकर तैयारियां जोरशोर से जारी है। इसी बीच बढ़ती गर्मी को देखते हुए रामनवमी पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अपील जारी किया कि जो भी भक्त अयोध्या पहुंचे वह अपने साथ धूप से बचने के लिए एक अंगोछा और पानी की व्यवस्था जरूर साथ रखें। उन्होंने कहा कि सभी मंदिरों में छांव की व्यवस्था नहीं हो जा सकती है। सूर्य की तपिश ऊपर से आएगी, पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के पैर सड़क पर जलेंगे। चंपत राय ने कहा कि महाकुंभ के बाद से रोजाना 70 से 80 हजार की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या आ रहे हैं, लेकिन रामनवमी के दौरान ये संख्या कई गुना बढ़ेगी, इसलिए प्रत्येक श्रद्धालु अपने झोले में पानी की बोतल अवश्य रखें। साथ ही लोगों से अपने साथ सत्तू को रखने की भी अपील की है। उन्होंने बताया कि इसका सेवन करने से लु जैसे बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। साथ ही चंपत राय ने ये भी कहा कि सरकारी अस्पताल की एक निर्धारित क्षमता होती है। इसलिए आने वाले श्रद्धालु स्वयं निर्भर रहें। राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के जन्मोत्सव पर श्रीराम कथा के साथ आठ दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान भी प्रारंभ हुआ। मंदिर के पूर्व दिशा स्थित यज्ञशाला में 11 वैदिक आचार्य की ओर से तुलसीकृत रामायण और बाल्मीकि रामायण का पाठ और श्रीराम स्रोत के मन्त्रों के द्वारा एक लाख आहुतियां भी डाली गई। तो वहीं शाम को मंदिर परिसर में बधाई गायन और संगीत गायन का भी आयोजन किया गया। इस दौरान दर्शन करने वाले श्रद्धालु भगवान के भजन को सुनकर अभिभूत हो रहे। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम जन्मभूमि पर प्रतिदिन मानस का पारायण प्रतिदिन सुबह 3 घंटे तक चलेगा। इसके अलावा बाल्मीकि रामायण 3 घंटे सुबह और 3 घंटे शाम को किया जाएगा, वही भगवान श्रीराम से जुड़ा हुआ एक मंत्र लिया गया है जिससे प्रतिदिन एक लाख आहुतियां दी जाएगी। यह रविवार से प्रारंभ हो गया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर में अवधि में बधाइयां सुनने की परंपरा है ये कार्य भी रविवार से प्रारंभ हो गया है।
