भूकंप के तेज झटको से हिला मणिपुर, लोगों में अफरा-तफरी, कोई हताहत नहीं
इम्फाल। हाल ही में दुनिया के कई हिस्सों में भूकंप की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है और पिछले कुछ समय में देश के विभिन्न हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इसी कड़ी में मणिपुर राज्य के चंदेल जिले में भी बुधवार, 19 मार्च की सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए।
भूकंप की तीव्रता और केंद्र
भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई। यह झटका सुबह 3 बजकर 40 मिनट पर आया, जब ज्यादातर लोग गहरी नींद में थे। भूकंप का केंद्र धरती की सतह से लगभग 10 किलोमीटर नीचे था, जो इसे एक हल्का लेकिन महसूस किया जाने वाला भूकंप बनाता है। दहशत में लोग घरों से बाहर निकले
सुबह के समय जब लोग सो रहे थे, तभी अचानक धरती हिलने लगी। झटके हल्के थे, लेकिन भूकंप महसूस होते ही लोगों में घबराहट फैल गई। जो लोग जगे हुए थे, उन्होंने तुरंत दूसरों को जगाया और सावधानी बरतने के लिए घरों से बाहर निकल आए। हालाँकि, यह भूकंप बहुत शक्तिशाली नहीं था, फिर भी लोगों के मन में भय बना रहा।
किसी नुकसान की खबर नहीं
फिलहाल किसी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने स्थिति का जायजा लिया और लोगों से शांत रहने की अपील की है। हालाँकि भूकंप की तीव्रता कम थी, लेकिन पहाड़ी और संवेदनशील इलाकों में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है।
लगातार बढ़ रही भूकंप की घटनाएँ
बीते कुछ वर्षों में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भूकंप की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं। यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है, क्योंकि यह टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों से प्रभावित होता है। मणिपुर, असम, नागालैंड, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में समय-समय पर हल्के से लेकर मध्यम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं।
भूकंप से बचाव के उपाय
भूकंप जैसी आपदाओं से बचने के लिए लोगों को जागरूक रहना जरूरी है। यदि भूकंप के झटके महसूस हों तो घबराने के बजाय किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे छिप जाना चाहिए। खुले मैदान में जाना सबसे सुरक्षित होता है, जबकि खिड़कियों, भारी वस्तुओं और दीवारों से दूर रहना चाहिए।
प्रशासन की अपील
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें और सतर्क रहें। साथ ही, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आवश्यक सावधानियाँ अपनाने की सलाह दी गई है। आपदा प्रबंधन विभाग भी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके। हालाँकि इस भूकंप से किसी तरह का बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए।
क्यों आता है भूंकप?
भूकंप तब आते हैं जब टेक्टोनिक प्लेट अचानक एक-दूसरे से खिसक जाती हैं, जिससे भूकंपीय तरंगों के रूप में जमा ऊर्जा निकलती है। ये प्लेटें पृथ्वी की सतह के नीचे एक अर्ध-तरल परत पर स्थित होती हैं और सतह के नीचे लगातार धीमी गति से चलती रहती हैं। कभी-कभी विशाल प्लेटें आपस में टकराती हैं, अलग हो जाती हैं या एक-दूसरे के खिलाफ खिसकती हैं जिससे जमीन हिलती है। प्लेट की हरकतों के तीन मुख्य प्रकार मुख्य रूप से भूकंप का कारण बनते हैं, जिनमें अभिसारी सीमाएं होती हैं, जहां प्लेटें टकराती हैं और एक दूसरे के नीचे चली जाती हैं। अपसारी सीमा की स्थिति में प्लेटें अलग हो जाती हैं और मैग्मा ऊपर आकर एक नई सतह बनाता है और सीमाएं बदलता है, जहां प्लेटें क्षैतिज रूप से एक-दूसरे से खिसकती हैं, जिससे घर्षण और तनाव पैदा होता है जो आखिर में भूकंप का कारण बनता है। हालांकि, ज्वालामुखी गतिविधि भी भूकंप को ट्रिगर करने का एक कारण हो सकती है, क्योंकि मैग्मा पृथ्वी की सतह के नीचे चला जाता है।


