September 16, 2025

बेगूसराय में दहेज के लिए नवविवाहिता की हत्या, बाइक नहीं देने पर मार डाला, ससुराल वाले भागे

बेगूसराय। बिहार के बेगूसराय जिले के बखरी थाना क्षेत्र के करेटार गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। दहेज की मांग पूरी न होने पर एक नवविवाहिता की हत्या कर दी गई, जिसने समाज में व्याप्त दहेज प्रथा की भयावहता को फिर उजागर कर दिया है। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है और लोगों को गहराई से झकझोर दिया है। मृतक महिला की पहचान करेटार गांव निवासी बाल्मीकि चौधरी की पत्नी रूपम कुमारी के रूप में हुई है। परिजनों का आरोप है कि रूपम को लंबे समय से दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। शादी के समय रूपम के मायकेवालों ने 1.15 लाख रुपये की नकद राशि दी थी, लेकिन शादी के कुछ समय बाद उसके पति और ससुरालवालों द्वारा मोटरसाइकिल की मांग की जाने लगी। मांग पूरी न होने पर रूपम को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। 1 जनवरी की रात को यह घटना घटी, जब रूपम की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों के अनुसार, उसी दिन रूपम से उनकी बातचीत हुई थी, लेकिन उसने कोई शिकायत नहीं की थी। रूपम के शव पर गले में फंदे के निशान पाए गए, जो हत्या की पुष्टि करता है। घटना के बाद रूपम के ससुरालवाले, जिनमें उसके पति बाल्मीकि चौधरी भी शामिल हैं, मौके से फरार हो गए। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। परिजनों ने ससुराल पक्ष के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया है। यह घटना न केवल एक परिवार के जीवन को बर्बाद करती है, बल्कि यह समाज के उस काले चेहरे को भी उजागर करती है, जहां आज भी दहेज के लिए महिलाओं को प्रताड़ित और हत्या जैसी अमानवीय घटनाओं का सामना करना पड़ता है। दहेज प्रथा, जो एक कुप्रथा के रूप में वर्षों से समाज में जड़ें जमाए हुए है, आज भी महिलाओं के लिए एक बड़ा खतरा है। दहेज हत्या के मामलों को रोकने के लिए कानूनों का सख्ती से पालन और पीड़ितों को न्याय दिलाना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, समाज को भी अपनी सोच बदलने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए जागरूक होना चाहिए। यह घटना इस बात का सबूत है कि केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें प्रभावी तरीके से लागू करना और सामाजिक सोच में बदलाव लाना भी जरूरी है। बेगूसराय की इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दहेज प्रथा जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए पूरे समाज को एकजुट होकर काम करना होगा। रूपम कुमारी की मौत को केवल एक घटना मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह समय है कि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझे और इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाए। इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय मिलना और दोषियों को कड़ी सजा देना बहुत जरूरी है, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

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