पेपर लीक पर तेजस्वी का सरकार पर हमला, कहा- जबतक ये लोग है, कोई परीक्षा कदाचार मुक्त नहीं हो सकती
पटना। बिहार में परीक्षाओं में होने वाली धांधली और पेपर लीक की घटनाएं लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं। हाल ही में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की परीक्षा को पेपर लीक की आशंका के चलते रद्द कर दिया गया। इस घटना ने राज्य में परीक्षाओं की पारदर्शिता और ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे लेकर राज्य सरकार, विशेष रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा पर तीखा हमला बोला है। बिहार में हाल के वर्षों में पेपर लीक की घटनाएं बार-बार सामने आई हैं। ताजा मामला सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की ऑनलाइन परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें 4500 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा रद्द करने का निर्णय तब लिया गया जब पेपर लीक की पुष्टि हुई। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाई और 37 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें परीक्षा केंद्रों के प्रमुख, आईटी प्रबंधक, समन्वयक, और तकनीकी सहायक कर्मचारी शामिल हैं। तेजस्वी यादव ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि बिहार में परीक्षाओं में धांधली अब आम बात हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पेपर लीक माफिया सत्ता संरक्षित है और इसमें सरकार के करीबी लोग शामिल हैं। तेजस्वी का कहना है कि यह केवल एक परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि बिहार में अधिकांश परीक्षाओं में धांधली का खेल होता रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार कभी भी इन घोटालों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री पेपर लीक के मुद्दों पर चुप्पी क्यों साधे रहते हैं। तेजस्वी ने दावा किया कि अधिकांश पेपर लीक मामलों के तार मुख्यमंत्री के गृह जिले से जुड़े पाए गए हैं। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि सरकार परीक्षा माफिया से मिलीभगत कर रही है। उनका मानना है कि जब तक नीतीश कुमार और भाजपा सत्ता में हैं, तब तक परीक्षाओं में कदाचार और पेपर लीक की घटनाएं नहीं रुक सकतीं। उन्होंने कहा कि यह सरकार केवल मजबूरी में परीक्षाओं को रद्द करती है जब गड़बड़ी सबके सामने आ जाती है। अन्यथा, परीक्षा माफिया से मिली धनराशि का बंदरबांट कर लिया जाता है। इस घटना के बाद आर्थिक अपराध इकाई ने कई ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों पर छापेमारी की और बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का पर्दाफाश किया। शाइन टेक प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी, जो परीक्षा आयोजित कर रही थी, के कर्मचारी और अन्य संबंधित लोग भी जांच के दायरे में आए हैं। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या यह कार्रवाई पर्याप्त है? तेजस्वी का मानना है कि केवल गुनहगारों को गिरफ्तार करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और इस समस्या की जड़ तक पहुंचकर इसे खत्म करना चाहिए। परीक्षाओं में हो रही धांधली ने बिहार की शिक्षा प्रणाली को गहरा आघात पहुंचाया है। युवा छात्रों का विश्वास व्यवस्था से उठता जा रहा है, और इसका सीधा असर राज्य की साख पर पड़ रहा है। पेपर लीक की घटनाएं न केवल छात्रों के भविष्य को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि योग्य उम्मीदवारों के लिए भी बाधा बनती हैं। तेजस्वी यादव के इस बयान को आगामी चुनावों के मद्देनजर एक रणनीतिक कदम के रूप में भी देखा जा सकता है। उन्होंने इस मुद्दे को उठाकर युवा मतदाताओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया है। भाजपा और जदयू के गठबंधन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी इस समस्या को गंभीरता से लेगी और सत्ता में आने पर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की परीक्षा का रद्द होना बिहार में परीक्षाओं की पारदर्शिता और प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल खड़ा करता है। तेजस्वी यादव ने इस घटना को लेकर सरकार की नीतियों और कार्यशैली पर करारा प्रहार किया है। अब यह देखना होगा कि सरकार इन आरोपों का कैसे जवाब देती है और पेपर लीक जैसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है। बिहार के युवाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली की सख्त जरूरत है, और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस दिशा में ईमानदारी से काम करे।


