प्रदेश में अब बिना म्यूटेशन के होगी जमीन की नापी, भूमि सर्वेक्षण में विभाग का नया आदेश जारी
पटना। बिहार में भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। विभाग ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत अब बिना म्यूटेशन (खाते की अद्यतन स्थिति) कराए भी जमीन की नापी करवाई जा सकेगी। यह फैसला रैयतों के लिए राहतकारी साबित होगा, जो अपनी जमीन का माप कराने में कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।
ऑनलाइन आवेदन की सुविधा
राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने अधिकारियों के साथ बैठक कर इस नई व्यवस्था के तहत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब रैयत अपनी जमीन की नापी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें राजस्व विभाग के रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग करना होगा। नए आदेश के मुताबिक, मापी फीस जमा करना अनिवार्य होगा। यदि कोई आवेदक मापी फीस जमा नहीं करता है, तो उसका आवेदन स्वतः रद्द हो जाएगा। इसके साथ ही, मापी फीस को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
ई-मापी पोर्टल में नए प्रावधान
ई-मापी पोर्टल को भी नई व्यवस्था के अनुरूप अपडेट किया गया है। पहले, सरकारी जमीन, कोर्ट के आदेश, विधि-व्यवस्था से जुड़े मामलों और लोक शिकायत निवारण में मापी को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं थे। लेकिन अब, इन सभी मामलों को पोर्टल के ड्रॉप-डाउन मेन्यू में शामिल किया गया है। इससे रैयतों को अपनी जमीन मापी की प्रामाणिक कॉपी आसानी से प्राप्त होगी।
जमाबंदी प्रक्रिया में सुधार
बैठक में जमीनों की जमाबंदी (खाते का अद्यतन रिकॉर्ड) को लेकर भी निर्णय लिया गया। विभाग ने परिमार्जन प्लस पोर्टल के जरिए जमाबंदी में सुधार की सुविधा प्रदान की है। उन मामलों में भी जमाबंदी को डिजिटाइज किया जाएगा, जो प्रारंभिक प्रक्रिया के दौरान छूट गए थे। परिमार्जन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही जमीनों की जमाबंदी सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा, अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि बिना जमाबंदी के भी जमीन की नापी की जा सकेगी।
प्रति दिन तीन मापी का लक्ष्य
बैठक में यह तय किया गया कि प्रत्येक अमीन (जमीन मापने वाले अधिकारी) औसतन प्रति दिन तीन मापी करेंगे। यह मापी केवल रैयती भूमि (निजी जमीन) से संबंधित होगी। सरकारी जमीन की मापी फिलहाल इस प्रक्रिया में शामिल नहीं है।
रैयतों को लाभ और पारदर्शिता
इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि रैयतों को अपनी जमीन मापी कराने में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलेगी। म्यूटेशन का लंबा इंतजार किए बिना अब वे सीधे नापी के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके अलावा, ई-मापी पोर्टल और ऑनलाइन प्रक्रिया से पारदर्शिता बढ़ेगी। आवेदकों को मापी की स्थिति की जानकारी भी ऑनलाइन मिलेगी, जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी।
जनता में जागरूकता का अभाव होगा दूर
नए निर्देशों के तहत विभाग प्रचार-प्रसार के माध्यम से जनता को जागरूक करेगा। मापी फीस और ऑनलाइन प्रक्रिया की जानकारी गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
सरकारी भूमि और अन्य मामलों का प्रबंधन
सरकारी जमीन, लोक शिकायत निवारण और कोर्ट के आदेशों से संबंधित मापी मामलों को स्पष्ट दिशा-निर्देशों में शामिल किया गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि विभागीय प्रक्रिया में कोई असमंजस न रहे। बिहार सरकार का यह नया आदेश जमीन मापी की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह कदम न केवल रैयतों को राहत देगा, बल्कि भूमि सर्वेक्षण में पारदर्शिता और दक्षता भी सुनिश्चित करेगा। राजस्व विभाग की यह पहल राज्य में भूमि सुधार और प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


