आईपीएस कुंदन कृष्णन की जल्द होगी घर वापसी, गृह मंत्रालय ने होम कैडर वापस आने के लिए जारी की अधिसूचना
पटना। बिहार कैडर के 1994 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कुंदन कृष्णन की “घर वापसी” की खबर राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक परिदृश्य में चर्चा का विषय बन गई है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने उनकी बिहार में वापसी की अधिसूचना जारी की है। फिलहाल, वह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) के पद पर तैनात थे। उनके अनुभव, साहस और कार्यक्षमता को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। कुंदन कृष्णन का नाम साहसिक फैसलों और जोखिम भरे अभियानों के लिए जाना जाता है। उनकी कार्यशैली और निर्भीक व्यक्तित्व के कारण वह हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। इस घटना ने कुंदन कृष्णन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। छपरा जेल में 1200 कैदियों ने जेल पर कब्जा कर लिया था और पुलिस पर पत्थरबाजी एवं फायरिंग कर दी थी। बतौर एसपी तैनात कुंदन कृष्णन ने हालात की गंभीरता को समझते हुए खुद एके-47 लेकर मोर्चा संभाला। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में 5 कैदी मारे गए, और स्थिति पर काबू पाया गया। इस दौरान उनका हाथ फ्रैक्चर हो गया, लेकिन उनकी बहादुरी और तत्परता की देशभर में प्रशंसा हुई। कुंदन कृष्णन ने बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन को नियमों के उल्लंघन के मामले में गिरफ्तार किया। देहरादून में पेशी के बाद सहरसा जेल लौटने के बजाय आनंद मोहन पटना में रुक गए थे। कुंदन कृष्णन ने इस बात की जानकारी मिलते ही कार्रवाई की और उन्हें होटल से गिरफ्तार कर सहरसा जेल पहुंचाया। इस दौरान दोनों के बीच तीखी बहस भी हुई, लेकिन कुंदन कृष्णन अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे। कुंदन कृष्णन का कार्यकाल 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले भी प्रभावी रहा। उस समय बिहार में राष्ट्रपति शासन था, और उन्हें पटना का एसएसपी नियुक्त किया गया था। उस दौर में उन्होंने कानून-व्यवस्था को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में कई बड़े अपराधियों पर नकेल कसी गई। नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य की कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हमेशा कड़े कदम उठाए हैं। कुंदन कृष्णन की वापसी के साथ यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उन्हें किसी महत्वपूर्ण प्रशासनिक या सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। बिहार में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने के लिए उनकी रणनीतिक और निष्पक्ष कार्यशैली सहायक हो सकती है। राज्य के पुलिस प्रशासन में अनुशासन और दक्षता लाने के लिए उनका अनुभव उपयोगी होगा। कुंदन कृष्णन जैसे अधिकारियों की भूमिका केवल कानून-व्यवस्था संभालने तक सीमित नहीं रहती। उनका साहस, ईमानदारी और तत्परता जनता के बीच पुलिस प्रशासन की सकारात्मक छवि बनाने में मदद करता है। छपरा जेल जैसी घटनाओं में उनके साहसिक निर्णय से यह साफ होता है कि वे किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटते। बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। बाहुबली नेताओं, संगठित अपराध और प्रशासनिक भ्रष्टाचार से निपटना किसी भी अधिकारी के लिए आसान नहीं है। हालांकि, कुंदन कृष्णन के रिकॉर्ड को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वह इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। आईपीएस कुंदन कृष्णन की बिहार में वापसी राज्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। उनकी कार्यकुशलता, साहस और नेतृत्व क्षमता से राज्य को लाभ होगा। साथ ही, उनके अनुभव और कर्तव्यनिष्ठा से कानून-व्यवस्था में सुधार की उम्मीद की जा रही है। नीतीश कुमार की सरकार में उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसमें वह अपने प्रभावशाली नेतृत्व और कार्यशैली से राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास करेंगे।



