बेलागंज में जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी को भारी बढ़त, गिरने के करीब राजद का अभेद किला

पटना। बिहार के चार विधानसभा क्षेत्रों—तरारी, बेलागंज, इमामगंज, और रामगढ़—में हुए उपचुनाव की मतगणना शनिवार को जारी है। शुरुआती रुझानों से साफ है कि एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर हो रही है। हालांकि, बेलागंज सीट से चौंकाने वाली खबर यह है कि जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी ने निर्णायक बढ़त बना ली है। यह सीट राजद का अभेद किला मानी जाती थी, लेकिन सातवें राउंड की गिनती के बाद मनोरमा देवी ने 13,402 वोटों की बढ़त बनाकर राजद को बड़ा झटका दिया है।
बेलागंज: 35 साल पुराना गढ़ दरकने के कगार पर
बेलागंज सीट राजद के सबसे पुराने गढ़ों में से एक है। पिछले 35 सालों से इस सीट पर राजद का दबदबा रहा है। यहां के मतदाता पारंपरिक रूप से लालू यादव की पार्टी के समर्थन में रहे हैं। लेकिन इस बार उपचुनाव में जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी ने इस किले को दरकाने की तैयारी कर ली है। सातवें राउंड तक उनकी बढ़त न केवल कायम रही बल्कि लगातार बढ़ती गई। राजद के प्रत्याशी विश्वनाथ कुमार सिंह, जो इस बार महागठबंधन के उम्मीदवार थे, मनोरमा देवी की बढ़त के सामने कमजोर पड़ते दिख रहे हैं। यदि यह परिणाम इसी दिशा में आगे बढ़ता है, तो बेलागंज पर एनडीए का कब्जा राजद के लिए बड़ा राजनीतिक झटका होगा।
एनडीए के लिए रणनीतिक सफलता
बेलागंज सीट पर जदयू की बढ़त एनडीए के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सफलता मानी जा रही है। यह सीट न केवल महागठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का विषय थी, बल्कि यह लालू यादव और उनके समर्थकों के लिए राजनीतिक शक्ति का प्रतीक भी है। इस जीत के जरिए एनडीए न केवल महागठबंधन के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब होगा, बल्कि बिहार की राजनीति में अपनी मजबूती भी साबित करेगा।
महागठबंधन के लिए झटका
महागठबंधन, जो कि राजद, जदयू, कांग्रेस, और अन्य सहयोगी दलों के साथ गठित है, इस चुनाव में अपनी साख बचाने के लिए संघर्षरत है। बेलागंज पर संभावित हार उनके लिए न केवल एक राजनीतिक झटका होगी, बल्कि यह आने वाले चुनावों में भी उनकी रणनीति पर सवाल खड़े कर सकती है।
मतदाताओं का मूड और संदेश
बेलागंज सीट से जदयू की बढ़त यह संकेत देती है कि मतदाता अब केवल जातिगत समीकरणों और पारंपरिक निष्ठाओं के आधार पर वोट नहीं कर रहे हैं। विकास और स्थानीय मुद्दे अब चुनावी समीकरणों में अहम भूमिका निभा रहे हैं। मनोरमा देवी ने अपनी जमीन पर मेहनत की और जनता के साथ जुड़ने की कोशिश की, जिसका असर परिणामों में दिख रहा है। बेलागंज सीट पर जदयू की मनोरमा देवी की बढ़त यह साबित करती है कि बिहार की राजनीति में बदलाव की बयार चल रही है। यदि परिणाम जदयू के पक्ष में रहता है, तो यह एनडीए के लिए बड़ी उपलब्धि होगी और राजद के लिए आत्ममंथन का समय। 35 साल पुराने गढ़ का दरकना महागठबंधन के लिए चेतावनी है कि वे मतदाताओं से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दें। पटना से आई इस बड़ी खबर ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है, और अब सभी की नजरें अंतिम परिणाम पर टिकी हैं।

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