December 10, 2025

बापू के शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि सभा : कुछ शक्तियां गांधीजी के विचारों को मिटाने में लगी है

खगौल। चर्चित नाट्य संस्था सूत्रधार ने दानापुर रेलवे स्टेशन बाहरी परिसर में त्याग, प्रेम, सहिष्णुता एवं भाईचारे का संदेश देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 72वें शहादत दिवस पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में निदेशक एवं वरिष्ठ रंगकर्मी उदय कुमार ने गांधी जी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम और वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे को प्रस्तुत किया। श्रद्धांजलि सभा में आए अतिथियों का स्वागत संस्था के महासचिव नवाब आलम ने करते हुए कहा कि गांधीजी ने पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए आगे बढ़ने को प्रेरित किया। विडंबना यह है कि कुछ शक्तियां उनके इन विचारों को मिटाने में लगी है। जात-धर्म के नाम पर विद्वेष फैलाकर गांधीजी के सिद्धांतों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर तरह-तरह की झूठी अफवाह फैलाकर गांधीजी की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रही है, पर उनके विचार, संदेश मानवता से परिपूर्ण है, वह हमेशा लोगों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। वहीं श्रद्धांजलि सभा को खगौल थानाध्यक्ष मुकेश कुमार मुकेश ने संबोधित करते हुए गांधी जी के आदर्शों को जीवन में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। गांधीजी के विचारों पर चलकर ही हमारा देश आगे बढ़ सकता है। आरपीएफ थानाध्यक्ष अजय शंकर पटेल ने कहा कि गांधी जी प्रेम, भाईचारा, एकता-अखंडता, समानता के पक्षधर थे। गांधीजी के सिद्धांत एवं विचार भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है। दलित नेता राजेन्द्र राम ने कहा कि गांधीजी ने जिस आजाद भारत देश का सपना देखा था, वह आज तक नहीं बन पाया है। हमें एकजुट होकर उनके विचारों पर काम करने की आवश्यकता है। समाजसेवी अनिल कुमार ने कहा कि बापू के आदर्शों की हत्या हर रोज हो रही है। हमें आवश्यकता है उनके सोच और विचारों को पढ़-समझ कर अपने जीवन में उतारने की। उनके संदेशो को जन-जन तक पहुंचाने की।

श्रद्धांजलि सभा को शशि फाउंडेशन नौबतपुर के नरेन्द्र किशोर, एएसआई कपिलदेव, अनिल कुमार सिंह, पल्लवी प्रियदर्शिनी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर संस्था के कलाकार अम्बुज कुमार, बिरेन्द्र ओझा, शिखा राज, आकांछा प्रियदर्शिनी, त्रिभुवन यादव, शिवम कुमार, राजीव रंजन, सुमन कुमार सिंह आदि ने गांधी को गायन के माध्यम से सांस्कृतिक श्रद्धांजलि दी।

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