जदयू की पूर्व विधायक पूनम देवी ने थामा कांग्रेस का दामन, प्रदेश अध्यक्ष ने दिलाई सदस्यता
पटना। बिहार में लोकसभा चुनाव के बीच बुधवार को नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को बड़ा झटका लगा। जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की पूर्व विधायक पूनम देवी ने जदयू छोड़कर बुधवार को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। इसे नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बता दे की कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलायी। आपको बता दें कि 24 साल बाद पूनम देवी की कांग्रेस में वापसी हो रही है। कांग्रेस में वापसी करते हुए पूर्व विधायक पूनम देवी ने केन्द्र सरकार पर सीधा हमला बोला और कहा कि महंगाई और बेरोजगारी ने जीना मुहाल कर दिया है। पूनम देवी जेडीयू से 2005 से लेकर 2020 तक लगातार 15 सालों तक खगड़िया सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं। 2020 में वह चुनाव हार गईं। पूनम देवी का जेडीयू में काफी दबदबा रहा था। अब पूनम देवी के कांग्रेस में आ जाने से पार्टी अपने आप को मजबूत मान रही है। पूनम देवी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कहा कि भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। हम 24 साल बाद अपने घर में वापस आए हैं। कहा कि 1985 में हम कांग्रेस में आए थे और उस वक्त मसौढ़ी विधानसभा से पार्टी ने चुनाव लड़ाया था। हम जीते भी थे, लेकिन 1990 और 1995 में चुनाव हार गए थे। पूनम देवी ने कहा कि कांग्रेस ने 1996 बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से नीतीश कुमार के खिलाफ हमें चुनाव लड़वाया था, लेकिन हम जीत नहीं पाए। इसके बाद कांग्रेस का जनाधार खत्म होने लगा था तो हमने 2000 में नीतीश कुमार के साथ समता पार्टी को ज्वाइन कर लिया था। 2005 में जेडीयू से विधायक बने तो 2020 तक रहे। अब हम अपनी पुरानी पार्टी में आ गए हैं। मजबूती के साथ कांग्रेस में काम करूंगी। उन्होंने कहा कि अभी का लोकसभा चुनाव हर दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण है जिसे महागठबंधन के सभी प्रत्याशियों को जिताना है। इस मौके पर अखिलेश प्रसाद सिंह ने पूनम देवी को कांग्रेस में आने पर बधाई दी। केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बिहार देश में बेरोजगारी दर इतना बढ़ गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से भी ऊपर भारत का बेरोजगारी दर हो गया है। केंद्र सरकार ने किसानों के लिए क्या किया यह बताना चाहिए। जब कांग्रेस की सरकार थी तो 72 हजार करोड़ कर्ज माफ किया गया था। वर्तमान की केंद्र सरकार ने 22 अरबपतियों का 16 लाख करोड़ माफ किया है।


