15 को खत्म होगा खरमास, 17 से गूंजेगी शहनाई, इस साल इतने हैं वैवाहिक मुहूर्त

पटना। शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं। इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
17 से शुरू होंगे वैवाहिक मुहूर्त
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पं. राकेश झा शास्त्री ने बताया कि सूर्य के मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही महीने भर से चला आ रहा खरमास 15 जनवरी को समाप्त हो जाएगा। खरमास के समापन के साथ ही मांगलिक कार्य का सिलसिला आरंभ हो जाता है। पंडित झा के मुताबिक पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल मलमास होने के कारण वैवाहिक शुभ मुहूर्त की संख्या कम होगी क उन्होंने कहा कि 17 जनवरी से लेकर 11 दिसंबर तक कुल 73 वैवाहिक शुभ लग्न है। उन्होंने बताया कि सूर्य के मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। इसके बाद से हिंदुओं के सभी शुभ कार्य, जैसे शादी-विवाह, उपनयन, मुंडन और गृह प्रवेश आदि शुरू हो जाएंगे।
जुलाई से पूरे पांच माह नहीं होंगे वैवाहिक कार्य
ज्योतिषी झा के मुताबिक इस साल जुलाई में वैवाहिक या मांगलिक शुभ कार्य नहीं हो पाएगा, चूंकि एक जुलाई को ही देवशयनी एकादशी पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु शयन के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं। उनके शयन के बाद सभी प्रकार के शुभ कार्य पर रोक लग जाता है, फिर 25 नवंबर को देवोत्थान एकादशी को भगवान नारायण निंद्रा से जागृत होंगे। तब सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएगा। इस वर्ष चातुर्मास की अवधि चार महीने के बजाए पांच महीने होंगे। इस साल अधिमास होने से एक मास ज्यादा हो गए हैं। कुल 148 दिन तक भगवान विष्णु शयन मुद्रा में रहेंगे। दो साल पहले भाद्रपद माह में अधिमास होने पर भी ऐसी ही स्थिति बनी थी।
ऐसे तय होते है शुभ लग्न-मुहूर्त
पंडित झा ने कहा कि शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है। वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक का रहना जरूरी है। अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। उन्होंने बताया कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा। तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
शादी-विवाह के शुभ लग्न मुहूर्त : (मिथिला व बनारसी पंचाग के मिश्रित लग्न)
जनवरी: 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 26, 29, 30, 31
फरवरी: 3, 4, 5, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 25, 26, 27, 28
मार्च: 1, 2, 3, 4, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13
अप्रैल: 15, 16, 17, 20, 23, 26
मई: 3, 4, 6, 7, 10, 17, 18, 20, 22
जून: 7, 10, 11, 1, 7
नवंबर: 19, 21, 23, 26
दिसंबर: 1, 3, 6, 7, 9, 11
सूर्य के राशि परिवर्तन से राशियों पर प्रभाव
मेष: प्रतियोगी परीक्षा में सफलता, रोग से मुक्ति
वृष: व्यर्थ का व्यय, लंबी दुरी की यात्रा
मिथुन: अप्रत्याशित लाभ, संतान से संबंधित खुशखबरी
कर्क: नौकरी में प्रमोशन, कार्य वृद्धि व विस्तार
सिंह: धार्मिक यात्रा, आरोग्यता
कन्या: पत्नी के स्वास्थ्य चिंताजनक, वाणी में कटुता
तुला: बीमारी का भय, व्यापार में परेशानी
वृश्चिक: राजनीतिक क्षेत्र में लाभ, नौकरी में प्रमोशन
धनु: भाग्य का मिलेगा साथ, दूरस्थ यात्रा
मकर: स्थिति असंतोष,पिता का स्वास्थ्य प्रभावित
कुंभ: पराक्रम में इजाफा , सगे भाइयों से लाभ
मीन: संचित पैसे में होगी वृद्धि,कर्ज से मिलेगी मुक्ति
