जदयू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन बोले, भाजपा की आंतरिक कलह हुई उजागर

  • बिहार सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करना भाजपा की जांच कमिटी का एकमात्र उद्देश्य : जदयू

पटना। भाजपा पर हमला जारी रखते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि विधानसभा मार्च की सियासी नौटंकी के बाद जांच कमिटी का गठन कर भाजपा ने साफ़ कर दिया है कि वह दुष्प्रचार की राजनीति छोड़ने वाले नहीं है। उनकी कमिटी आयी भी और तथाकथित जांच के नाम पर केवल भाजपा कार्यकर्ताओं से बातचीत कर के चली गयी। उन्हें न तो आम जनता से बात करने की फुर्सत मिली और न ही ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों और पत्रकारों से जानकारी लेने की चिंता हुई। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भी उन्होंने रटी-रटायी बातों को भी दोहराया। भाजपा यह जान ले लिखी लिखाई स्क्रिप्ट पर एक्टिंग करने को जांच नहीं बल्कि सियासी नौटंकी कहते हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में भाजपा अपनी सियासी जमीन खिसकती देख अब फ्रस्टेट हो चुकी है. ऊपर से पार्टी में छिड़ी गुटबाजी ने इनकी कमर तोड़ रखी है। इनकी आपस में चल रही उठा-पटक का असर तो कल के मार्च में खुलेआम दिखा। लाठीचार्ज के दौरान कार्यकर्ताओं के बीच इनके एक-दो नेताओं को छोड़कर कोई बड़ा नेता नहीं दिखा। यहां तक कि इनके प्रदेश अध्यक्ष धरने पर अकेले बैठकर बाकी नेताओं को बुलाते रहें, लेकिन सारे बड़े नेता पीछे एक बड़ी गाडी में सवार हो आपसे में हंसी-मजाक करते रहे। बाद में जेल ले जाने वाली गाड़ी आने बाद यह लोग आराम से टहलते हुए उसमें बैठ कर निकल गये।

वास्तव में भाजपा दल नहीं बल्कि दलदल है। पूरी पार्टी अनेक गुटों में विभाजित है। इनके संगठन के भीतर हर बड़े नेता ने अपना एक अलग संगठन बनाया हुआ है। पार्टी भले ही इन नेताओं के आंतरिक मतभेदों को छिपाने में पसीना बहा रही है, लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे इनका मनभेद बढ़ता जाएगा। इसके लक्षण अभी से ही दिखायी देने शुरू हो गये हैं। आने वाले समय में यदि इनका संगठन कई टुकड़ों में टूट जाए तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। खुद को चाल, चरित्र की पार्टी बताने वाली भाजपा में हर नेता अपना वर्चस्व स्थापित करने में व्यस्त है। सामंतवादी स्वभाव के इनके हर नेता दूसरे नेता की टांग खींचने में व्यस्त है। इसी उठापटक के कारण नए अध्यक्ष बनने के इतने महीनों के बाद भी यह लोग अपने पदाधिकारी तक तय नहीं कर पाए हैं। हर नेता संगठन में अपना व्यक्ति रखने के लिए लालायित हैं। दूसरी तरफ सामान्य कार्यकर्ताओं की कोई पूछ ही नहीं है। हर बार उन्हें मायूसी हाथ लगती है। इसीलिए उनमें एक अलग आक्रोश पनप रहा है। आने वाले समय में आक्रोश की यह चिंगारी निश्चित ही ज्वाला बन कर भाजपा को लील जाने वाली है।

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