December 6, 2025

राजस्थान में अपनी नई पार्टी बनाने की तैयारियों में जुटे सचिन पायलट; कांग्रेस को लगेगा बड़ा झटका, ऐलान जल्द

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी कलह अब निर्णायक मोड़ पर है। सचिन पायलट ने ना केवल अलग राह अपनाने का फैसला किया है, बल्कि नई पार्टी बनाकर अशोक गहलोत को आगामी विधानसभा चुनावों में धूल चटाने की रणनीति भी बना ली है। इसके लिए राजस्थान में दो राजनीतिक दलों का पंजीकरण कराया गया है। उम्मीद है कि इन्हीं में से कोई एक नाम 11 जून को सचिन पायलट अपनाते हुए नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। यही नहीं, राजस्थान में अपनी जमीन को मजबूत करने के लिए सचिन पायलट रथयात्रा निकालने वाले हैं। इसके लिए नई पार्टी के संभावित नाम के आधार पर रथ को भी तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है। सचिन पायलट के इस फैसले से चुनावी साल से गुजर रहे राजस्थान की राजनीतिक हवा में अचानक गर्मी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि नए फैसले के साथ ही पायलट ने अपने क्षेत्रीय संगठन को मजबूत करने के लिए दिन रात एक कर दी है। माना जा रहा है कि वह 11 जून को नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। फिलहाल उनकी पार्टी का संभावित नाम प्रगतिशील कांग्रेस हो सकता है। नई पार्टी के ऐलान से पहले सचिन पायलट इस समय मंदिरों में दर्शन पूजन कर रहे हैं। सोमवार को वह राज्यसभा सांसद विवेख तनखा के साथ मैहर में मां शारदा का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि जल्द ही वह जयपुर में एक बड़ी रैली करने वाले हैं। उधर, अचानक सचिन पायलट के इस फैसले से कांग्रेस आलाकमान सकते में हैं।
पायलट के अगले कदम पर कांग्रेस की नजर
पाटी को अब तक लग रहा था कि सचिन किसी हाल में पार्टी से बाहर नहीं जा सकते, लेकिन नई स्थिति में पार्टी आलाकमान उनके अगले कदम पर नजर गड़ाए बैठी है। पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि सचिन पायलट के इस कदम से पार्टी को इस चुनाव में बड़ा नुकसान होने वाला है। बता दें कि राजस्थान में पिछला विधानसभा चुनाव सचिन पायलट की अगुवाई में लड़ा गया था। इस समय कहा जा रहा था कि बहुमत मिलने पर पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद दोनों के बीच तनाव की खबरें आने लगी थीं। वहीं जुलाई 2020 में तो सचिन पायलट ने खुलकर बगावत कर दी थी। उस समय वह अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर के गेस्टहाउस में आ गए थे। हालांकि उस समय उपमुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चतुराई दिखाते हुए सरकार को बचा लिया था। तब से लगातार दोनों नेताओं के बीचवाकयुद्ध चल रहा है।

You may have missed