अनुदान घोटाला : बिहार के 96 डिग्री कॉलेज पर एफआइआर का आदेश, नेताओं व उनके रिश्तेदारों से जुड़े तार

पटना। बिहार के संबद्ध डिग्री कालेजों में अनुदान घोटाला सामने आया है। आठ विश्वविद्यालयों के 122 डिग्री कॉलेजों ने तीन साल से 249 करोड़ रुपये की राशि का हिसाब नहीं दिया है। इनमें अधिकांश कॉलेजों के तार राजनेताओं या उनके नाते-रिश्तेदारों से जुड़े हैं। हालांकि 26 डिग्री कॉलेजों ने अनुदान का हिसाब देने हेतु समय मांगा है, लेकिन शिक्षा विभाग ने 96 कॉलेजों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने अनुदान का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने वाले कॉलेजों पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश कुलपतियों को दिया है। इस मामले में मगध विश्वविद्यालय (बोधगया), वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा), ललित नारायण मिश्र मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा), बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा), तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय और बीआरए बिहार विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर) के कुलपतियों की भी लापरवाही सामने आई है। शिक्षा विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2019-20 में 122 डिग्री कालेजों को अनुदान के रूप में 249 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन कुलपतियों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र लेने में संबंधित कॉलेजों पर सख्ती नहीं दिखायी। ऊपर से कुलपतियों ने चालू वित्त वर्ष में संबंधित डिग्री कॉलेजों को अनुदान भुगतान की अनुशंसा भी कर दी। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने अनुदान राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र देने की अनिवार्यता को सख्ती से लागू करने का आदेश कुलपतियों को दिया है।
बता दें कि पिछले सप्ताह शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी की ओर से अनुदान राशि का हिसाब नहीं देने वाले कॉलेजों पर कानूनी कार्रवाई का निर्देश दिया गया है और यह फैसला लिया गया है कि बिना उपयोगिता प्रमाण पत्र दिए इस बार किसी भी कॉलेज को अनुदान जारी नहीं किया जाएगा।

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