21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर 59 वर्षों के बाद बना विशेष संयोग, मिलेगा मनचाहा वरदान

पटना। देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के विवाह दिवस यानि महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी दिन शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग एवं श्रवण नक्षत्र में मनाई जाएगी। इस दिन श्रद्धालु व्रत, पूजा और पाठ के साथ जलाभिषेक व रुद्राभिषेक कर भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं।
शिव आराधना से चन्द्र होंगे सबल
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पं. राकेश झा ने बताया कि इस बार शिवरात्रि पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन शश नामक योग करीब 59 वर्ष के बाद आया है तथा इसी दिन श्रेष्ठ श्रवण नक्षत्र का संयोग भी बना है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की अराधना बहुत ही फलदायी मानी जाती है। उन्होंने गणित ज्योतिष के आंकलन से बताया कि महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण हो चुके होते हैं और ऋतु परिवर्तन भी चल रहा होता है। इसके अलावे चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी कमजोर स्थिति में आ जाते हैं। चन्द्र को शिव अपने मस्तक पर धारण किये हुए है, इसीलिए इस दिन इनकी आराधना से श्रद्धालुओं का चंद्र सबल होता है।
सहस्त्र अश्वमेघ व सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ का फल
पंडित झा ने कहा कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि के साथ जयद योग का शुभ संयोग रहेगा। इस योग में शिव व्रत पूजन से अखंड सौभाग्य और मनचाहा वरदान की प्राप्ति होगी। सूर्य पुराण के अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने निकलते हैं, इसीलिए इस दिन पूजन से सालभर के शिवरात्रि के समान पुण्य मिलता है। शिवरात्रि का पूजा करने से श्रद्धालुओं को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ तथा सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था।
शिवरात्रि को ही शिवलिंग का प्रादुर्भाव
ज्योतिषी शास्त्री के अनुसार महाशिवरात्रि पर सूर्यास्त के बाद चारों प्रहर में शिव-पार्वती का जागरण करना चाहिए। पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और अंतिम प्रहर में शहद से अभिषेक करना चाहिए। उन्होंने शिवपुराण के हवाले से बताया कि शिवरात्रि के ही दिन शिवलिंग का पृथ्वी पर प्रादुर्भाव हुआ था।
महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व
पंडित झा ने ईशान संहिता के हवाले से बताया कि फाल्गुनकृष्णचर्तुदश्याम् आदि देवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भुत: कोटिसूर्यसमप्रभ:। तत्कालव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिव्रते तिथि:। अर्थात फाल्गुन चतुर्दशी की मध्यरात्रि में आदिदेव भगवान शिव लिंगरूप में अमिट प्रभा के साथ उद्भूत हुए। इस रात को कालरात्रि और सिद्धि की रात भी कहते हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के पर्व को शिव साधक बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और पूजा-कीर्तन करते हैं।
पूजन का शुभ मुहूर्त
निशीथ काल पूजा मुहूर्त : मध्यरात्रि 12.27 से 01.17 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11.41 बजे से 12.26 बजे तक
गुलीकाल मुहूर्त : प्रात: 07.47 बजे से 09.13 बजे तक
22 फरवरी को पारण : सुबह 07.03 बजे के बाद
राशि के अनुसार करें शिव आराधना, मिलेगा मनचाहा वरदान
मेष- महाशिवरात्रि के दिन जल में गुड़ और कुमकुम मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक तथा लाल फूल अर्पित करने से संकट से मुक्ति मिलेगी।
वृष- शिव जी को दही और गंगाजल तथा श्वेत पुष्प अर्पण करने से संपन्नता और सुखद वैवाहिक जीवन का वरदान मिलेगा।
मिथुन- इस राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करके भांग-धतूरा अर्पण करने से करियर और संतान सुख की प्राप्ति होगी।
कर्क- महाशिवरात्रि के दिन दूध-भांग को गंगाजल में मिलाकर अर्पित करने से सभी वांछित मनोकामना पूर्ण होगी।
सिंह- शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को लाल चंदन मिश्रित जल से तथा गन्ने का रस से अभिषेक करने से शुभ परिणामों की वृद्धि होगी।
कन्या- भगवान शिव को इस दिन भांग-धतूरा और बेलपत्र अर्पित करने से तनाव होगा कम तथा जीवन में स्थिरता आयेगी।
तुला- भगवान शिव का अभिषेक घी तथा मिश्री युक्त गंगाजल से करें तथा केसर मिश्रित मिष्ठान्न का भोग अर्पित करने से इनके जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी।
वृश्चिक- महाशिवरात्रि के दिन शहद मिश्रित जल से भगवान शिव जी का अभिषेक करें तथा लाल चंदन व गुलाब पुष्प का अर्पण करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
धनु- महाशिवरात्रि के दिन शिव जी को केसर युक्त जल से अभिषेक करें तथा घी का दीपक एवं पीला फूल और बेसन लड्डू अर्पित करने से सभी कार्यों में सफलता मिलेगी।
मकर- शिव जी को गंगाजल में तिल, भांग, अष्टगंध मिलाकर अर्पित करने से हर काम में सफलता मिलेगी।
कुंभ- महाशिवरात्रि के दिन नारियल पानी के साथ केसर मिश्रित दूध से भगवान शिव का अभिषेक करने से धन लाभ योग प्रबल होगी।
मीन- शिव जी को पीला चन्दन और फूल अर्पित करने से स्वास्थ्य उत्तम रहेगा तथा धन की कमी नहीं होगी।

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