नीतीश कैबिनेट की बैठक में 20 एजेंडों पर मुहर: राज्य में चार छोटे नए एयरपोर्ट होंगे विकसित, पटना में बनेंगे तीन शानदार फाइव स्टार होटल

- सेवानिवृत सैनिकों की अनुबंध अवधि विस्तारित करने की स्वीकृति, आकस्मिकता निधि से 224 करोड़ 35 लाख की मिली मंजूरी
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को बिहार सरकार की कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। यह बैठक राज्य सचिवालय में आयोजित की गई, जिसमें कुल 20 एजेंडों पर विचार किया गया और सभी को मंजूरी प्रदान कर दी गई। इस बैठक में राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्री, संबंधित विभागों के मंत्री और कई वरीय अधिकारी उपस्थित रहे। इस कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले राज्य की विकास प्रक्रिया, प्रशासनिक व्यवस्था और आर्थिक नीतियों को मजबूती देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। बैठक में सबसे अहम चर्चा राज्य में चल रही विकास योजनाओं पर हुई। सरकार ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अधोसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए कई परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। इसमें सड़क, पुल, जल-निकासी और पेयजल आपूर्ति से जुड़ी योजनाएं प्रमुख थीं। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार राज्य के पिछड़े क्षेत्रों में सुविधाएं पहुंचाने का प्रयास कर रही है। राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों में खाली पदों पर नियुक्तियों के लिए मंजूरी प्रदान की। शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व और पुलिस विभाग में कर्मियों की बहाली की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है। बैठक में कुछ महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रस्तावों पर भी विचार किया गया। इनमें राज्य के विभिन्न विभागों को अतिरिक्त बजट स्वीकृति, नई परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता और योजनाओं के पुनर्गठन की बातें शामिल रहीं। इसके अतिरिक्त शिक्षा, परिवहन, जल संसाधन, ऊर्जा और कृषि विभाग से जुड़े कई छोटे-बड़े फैसले भी लिए गए। खासतौर पर तकनीकी शिक्षा संस्थानों को बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने, सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में उठाए गए कदम उल्लेखनीय हैं।
बिहार में चार नए एयरपोर्ट बनाने की योजना को मिली हरी झंडी
बिहार सरकार ने राज्य के परिवहन और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में बिहार में चार नए हवाई अड्डों के निर्माण की योजना को स्वीकृति दी गई है। इस बैठक में राज्य सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई), नई दिल्ली के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी गई, जिसके तहत उड़ान योजना के अंतर्गत इन हवाई अड्डों का विकास किया जाएगा।
किन-किन स्थानों पर बनेंगे हवाई अड्डे
सरकार ने जिन स्थानों पर हवाई अड्डों के विकास की योजना बनाई है, वे हैं – मधुबनी, वीरपुर (सुपौल), मुंगेर और वाल्मीकिनगर। इसके अलावा मुजफ्फरपुर और सहरसा में भी छोटे हवाई अड्डों के निर्माण पर विचार किया जा रहा है। इन स्थानों पर पहले से मौजूद हवाई पट्टियों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा और उन्हें छोटे विमानों के संचालन योग्य बनाया जाएगा।
उड़ान योजना के अंतर्गत विकास
इन हवाई अड्डों को केंद्र सरकार की ‘उड़ान योजना’ के तहत विकसित किया जाएगा। उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना का उद्देश्य देश के छोटे शहरों को हवाई सेवा से जोड़ना है ताकि आम लोग भी सस्ती दरों पर हवाई यात्रा कर सकें। इस योजना के तहत केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर खर्च वहन करते हैं और हवाई सेवा प्रदाता कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जाता है। बिहार सरकार और एएआई के बीच हुए एमओयू में इन्हीं बिंदुओं को आधार बनाया गया है।
पर्यटन और व्यापार को मिलेगा प्रोत्साहन
इन नए हवाई अड्डों के निर्माण से बिहार में पर्यटन को नई ऊर्जा मिलेगी। विशेष रूप से वाल्मीकिनगर जोकि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और नेपाल सीमा के समीप स्थित है, वहां हवाई संपर्क की सुविधा पर्यटकों के लिए वरदान साबित होगी। मुंगेर और मधुबनी जैसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व वाले शहरों को भी इससे लाभ मिलेगा। वहीं वीरपुर और सहरसा जैसे क्षेत्रों में व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों को गति मिलेगी।
स्थानीय विकास और रोजगार के अवसर
हवाई अड्डों के निर्माण से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। निर्माण कार्य के दौरान बड़ी संख्या में श्रमिकों की जरूरत होगी, वहीं हवाई अड्डा चालू होने के बाद तकनीकी, सुरक्षा, प्रशासनिक और सेवापरक क्षेत्रों में भी नौकरी के मौके बनेंगे। इसके अलावा स्थानीय कारोबारियों और किसानों को अपने उत्पादों को दूर-दराज़ तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम भी प्राप्त होगा।
भविष्य की तैयारियां और चुनौतियाँ
हालांकि इस योजना को धरातल पर उतारने में कई प्रशासनिक और तकनीकी चुनौतियाँ भी आ सकती हैं। भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय स्वीकृति, फंडिंग और निर्माण समय सीमा जैसे विषयों पर राज्य सरकार को गंभीरता से काम करना होगा। लेकिन अगर यह परियोजना नियोजित तरीके से पूरी होती है तो बिहार का हवाई नक्शा पूरी तरह बदल सकता है। कुल मिलाकर बिहार में चार नए हवाई अड्डों के निर्माण की योजना राज्य के समग्र विकास की दिशा में एक निर्णायक कदम है। इससे न केवल परिवहन व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि पर्यटन, व्यापार, रोजगार और स्थानीय विकास के नए द्वार भी खुलेंगे। यह योजना भविष्य के बिहार की तस्वीर को आधुनिकता और प्रगति के नए आयाम दे सकती है।
पटना में तीन फाइव स्टार होटलों के निर्माण की तैयारी
बिहार की राजधानी पटना के विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने पटना में तीन शानदार फाइव स्टार होटल बनाने की योजना को मंजूरी दी है, जिससे ना केवल राजधानी की सुंदरता और सुविधाओं में इजाफा होगा, बल्कि पर्यटन और व्यापारिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
एजेंसी का चयन और समझौता
इस महत्वाकांक्षी योजना को साकार करने के लिए कुमार इंफो ट्रेड एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड को एजेंसी के रूप में चयनित किया गया है। राज्य सरकार और एजेंसी के बीच 19 वर्षों के लिए समझौता किया जाएगा। यह समझौता होटल निर्माण, संचालन और प्रबंधन से जुड़ा होगा, जिसके तहत आधुनिक सुविधाओं से युक्त फाइव स्टार होटलों का निर्माण किया जाएगा।
राज्य में पर्यटन और निवेश को मिलेगा बढ़ावा
राज्य सरकार का मानना है कि इन होटलों के निर्माण से न केवल घरेलू और विदेशी पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिलेगी, बल्कि यह निवेशकों को भी आकर्षित करेगा। पटना जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर में विश्वस्तरीय होटल सुविधाएं लंबे समय से अपेक्षित थीं। यह परियोजना राज्य की आर्थिक प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
पांच प्रमुख नदियों का होगा अध्ययन
वहीं दूसरी ओर, राज्य सरकार ने 2025 में पांच प्रमुख नदियों — सोन, क्यूल, फल्गु, मोरहर और चानन — का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय अध्ययन कराने की भी योजना बनाई है। इसके लिए केंद्रीय माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड को चुना गया है, जो यह अध्ययन 2 करोड़ 58 लाख 61 हजार 352 रुपये की लागत से करेगा। इस अध्ययन से नदियों के संरक्षण, जलप्रबंधन और जलस्तर सुधार में सहायता मिलेगी। इन दोनों पहलों से साफ है कि सरकार पटना के समग्र विकास को लेकर गंभीर है। एक ओर जहां पर्यटन और व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधन प्रबंधन को भी मजबूती मिलेगी।
सेवानिवृत सैनिकों की अनुबंध अवधि विस्तारित करने की स्वीकृति
बिहार सरकार ने हाल ही में एक अहम निर्णय लेते हुए राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। 17 जून को हुई कैबिनेट बैठक में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सैनिकों की अनुबंध अवधि को बढ़ाने का निर्णय लिया गया, जो पहले से ही बिहार पुलिस के अंतर्गत स्पेशल ऑग्ज़ीलियरी पुलिस बल में कार्यरत हैं।
1717 सैनिकों की सेवा अवधि में विस्तार
बिहार सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के तहत कुल 1717 सेवानिवृत्त सैनिकों की अनुबंध अवधि को वर्ष 2025-26 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। ये सभी सैनिक स्पेशल ऑग्ज़ीलियरी पुलिस में अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं और राज्य के विभिन्न जिलों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने, विशेष अभियान में सहयोग देने और पुलिस बल की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
अनुभवी जवानों से लाभ
सेवानिवृत्त सैनिकों के पास लंबे सैन्य अनुभव और अनुशासन का अद्वितीय ज्ञान होता है, जो किसी भी आपात स्थिति या विशेष सुरक्षा अभियान के दौरान बेहद उपयोगी सिद्ध होता है। ऐसे में सरकार का यह कदम न केवल सुरक्षा बलों की कार्यक्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि प्रशिक्षण और अनुशासन की दृष्टि से पुलिस बल को और मजबूत करेगा।
रोजगार और सम्मान दोनों
इस निर्णय से सेवानिवृत्त सैनिकों को रोजगार का अवसर मिलता है और उन्हें सामाजिक सम्मान भी प्राप्त होता है। साथ ही, राज्य सरकार की यह पहल उन जवानों के प्रति एक सकारात्मक संदेश है जिन्होंने देश की रक्षा में अपना जीवन समर्पित किया।
बिहार आकस्मिकता निधि से 224 करोड़ 35 लाख की मिली मंजूरी
बिहार सरकार ने शहरी गरीबों के लिए आवास उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में “सबके लिए आवास योजना शहरी 2.0” के अंतर्गत कार्यों को गति देने के लिए आकस्मिकता निधि से 224 करोड़ 35 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है। यह राशि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मंजूर की गई है।
केंद्र प्रायोजित योजना में राज्य की भागीदारी
सबके लिए आवास योजना शहरी 2.0’ एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, बेघर अथवा कमजोर आय वर्ग के लोगों को पक्का घर उपलब्ध कराना है। इस योजना में केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार की भी वित्तीय भागीदारी होती है। बिहार सरकार ने इस योजना के तहत आवश्यक राशि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिकता निधि का सहारा लिया है।
शहरी विकास को मिलेगा बल
इस स्वीकृत राशि का उपयोग शहरी क्षेत्रों में नए आवासों के निर्माण, मौजूदा परियोजनाओं की गति बढ़ाने और अधूरे कार्यों को पूरा करने में किया जाएगा। इससे न केवल गरीबों को सिर पर छत मिलेगी, बल्कि शहरी आधारभूत संरचना में सुधार भी होगा। यह कदम शहरीकरण की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।
आकस्मिकता निधि का प्रभावी उपयोग
आकस्मिकता निधि का उपयोग आमतौर पर विशेष परिस्थितियों में या तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है। सरकार द्वारा इस निधि का उपयोग शहरी आवास योजना के लिए करना यह दर्शाता है कि वह सामाजिक कल्याण और बुनियादी जरूरतों की पूर्ति को प्राथमिकता दे रही है। बिहार में विधानसभा चुनावों की आहट के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार लगातार जनकल्याणकारी फैसलों की झड़ी लगा रही है। 10 जून को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में कुल 22 एजेंडों पर मुहर लगाई गई, जो राज्य के विभिन्न वर्गों को ध्यान में रखकर लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय माने जा रहे हैं। यह बैठक नीतीश सरकार की राजनीतिक सक्रियता और आगामी चुनाव की तैयारियों को भी दर्शाती है। कैबिनेट की बैठक में सबसे बड़ा फैसला पंचायती राज विभाग को लेकर लिया गया। राज्य सरकार ने इस विभाग में 8093 पदों पर भर्ती को मंजूरी दी है।
चुनावी साल में तेजी से फैसले
2025 में संभावित विधानसभा चुनावों को देखते हुए नीतीश सरकार अपनी नीतियों और योजनाओं को धरातल पर उतारने की कोशिश में तेजी ला रही है। कैबिनेट द्वारा लिए गए हालिया फैसले दर्शाते हैं कि सरकार प्रशासनिक सुधारों के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों को प्राथमिकता दे रही है। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर, महिलाओं की सुरक्षा और पंचायतों की मजबूती जैसे निर्णयों से सरकार जनता का विश्वास जीतने की कोशिश में है। आने वाले दिनों में इसी तरह के और फैसलों की उम्मीद की जा रही है, जिससे बिहार की राजनीति में नई हलचल देखने को मिल सकती है।
