November 24, 2025

बेगूसराय में मोबाइल रिचार्ज न होने पर 13 वर्षीय किशोर ने की आत्महत्या, कमरे में फांसी लगाकर दी जान

बेगूसराय। बिहार के बेगूसराय जिले से एक अत्यंत दुखद और चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पहाड़ी गाछी वार्ड-45 में 13 वर्षीय एक किशोर ने मोबाइल गेम खेलने की लत और मोबाइल रिचार्ज न होने की वजह से आत्महत्या कर ली। यह घटना सिर्फ एक परिवार के लिए त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के सामने उभरती एक गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। मृतक रवि कुमार, चंदन तांती का पुत्र था। रविवार की शाम वह अपने घर पर मौजूद था और मोबाइल में रिचार्ज कराने की जिद कर रहा था। परिजनों के अनुसार वह कई दिनों से इस बात को लेकर नाराज़ था। जब रविवार को उसकी मांग पूरी नहीं हुई, तो उसने गुस्से और तनाव में अपने कमरे में जाकर खुद को फांसी लगा ली। घटना के समय घर पर केवल उसके दादा शंकर तांती मौजूद थे, जबकि माता-पिता मजदूरी करने के लिए प्रदेश से बाहर गए हुए थे।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा। पोस्टमार्टम की औपचारिकताओं के बाद शव परिजनों के हवाले कर दिया गया। थानाध्यक्ष के अनुसार मामले की जांच की जा रही है और परिवार से बातचीत के आधार पर घटना की परिस्थितियों को समझने की कोशिश की जा रही है। हालांकि प्रारंभिक जांच में यह साफ हो गया है कि किशोर मोबाइल गेम की लत से प्रभावित था और रिचार्ज न होने पर उसने यह चरम कदम उठाया।
परिवार पर पड़ा गहरा सदमा
13 वर्ष की कम उम्र में इस तरह की घटना होना परिवार के लिए असहनीय आघात है। मृतक के परिजनों के साथ-साथ आसपास के लोगों में भी शोक का माहौल है। परिवार में दो छोटे बच्चे और एक बहन भी हैं, जिन पर इस घटना का दीर्घकालिक मानसिक प्रभाव पड़ सकता है। माता-पिता, जो घर की आर्थिक स्थिति संभालने के लिए बाहर मजदूरी करते हैं, बेटे की मौत की खबर सुनकर टूट गए हैं।
मोबाइल गेम की लत: एक उभरती हुई चुनौती
स्थानीय लोगों ने भी इस घटना के बाद चिंता जताई कि बच्चों में मोबाइल गेम की लत दिनों-दिन गंभीर रूप लेती जा रही है। यह लत केवल समय की बर्बादी नहीं करती, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि लगातार मोबाइल गेम खेलने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, तनाव, गलत निर्णय लेने की प्रवृत्ति और अवसाद जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चे इस उम्र में भावनात्मक रूप से संवेदनशील होते हैं और छोटी-छोटी बातों पर भी अत्यधिक प्रतिक्रिया दे सकते हैं। तकनीक के बढ़ते उपयोग के कारण कई परिवारों में बच्चों पर निगरानी कम हो गई है, जिससे वे आसानी से मोबाइल और इंटरनेट की आदतों में उलझ जाते हैं। जब ऐसी आदतें नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तो उनके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं।
समाज और परिवार की जिम्मेदारी
यह घटना इस बात की गंभीर चेतावनी है कि बच्चों को बिना निगरानी मोबाइल देना कितना खतरनाक हो सकता है। माता-पिता और अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के मोबाइल उपयोग पर नज़र रखें और समय-समय पर उनसे खुलकर बातचीत करें। बच्चों को तकनीक के उचित उपयोग के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। उन्हें बताना होगा कि मोबाइल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यदि इसका गलत उपयोग किया जाए तो यह जीवन के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। बच्चों में सही आदतें विकसित करने, उन्हें पढ़ाई, खेलकूद और सामाजिक गतिविधियों की ओर प्रेरित करने की जरूरत है। वहीं स्कूलों और समाज के स्तर पर भी जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए, ताकि मोबाइल गेम की लत के दुष्परिणामों को समझाया जा सके।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और घटना से जुड़े हर पहलू को गंभीरता से देखा जा रहा है। हालांकि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आत्महत्या का मुख्य कारण मोबाइल रिचार्ज न होना और उससे जुड़ी उसकी लत थी। अंत में यह कहा जा सकता है कि यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सबक है। तकनीक के विस्तार के दौर में बच्चों को मोबाइल देना जितना आसान हुआ है, उसकी निगरानी उतनी ही चुनौतीपूर्ण बन गई है। यह जिम्मेदारी हर परिवार और समाज की है कि वे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें, उनकी आदतों पर निगरानी रखें और उन्हें सकारात्मक गतिविधियों की ओर प्रेरित करें।

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