September 14, 2025

10 फ़ीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण पॉलिसी चुनावी सीटों पर भी हो लागू भारत सरकार करें पहल : रजनीश तिवारी

  • 10 फ़ीसदी आरक्षण का लाभ भारत भर में सभी चुनावी फॉर्मेट पर भी हो लागू, इसको ले ब्राह्मण महासभा भेजेगी प्रधानमंत्री को रिप्रेजेंटेशन

पटना। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 फिसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण को यथासंभव बहाल रखने के फैसले की राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा, परशुराम सेवा संस्थान के प्रदेश प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी रजनीश कुमार तिवारी ने सराहना करते हुए सर्वोच्च न्यायालय को आभार प्रकट किया है। वही उन्होंने कहा कि उनके अनुसार राजनैतिक पिछड़ापन के हिसाब से ही राजनीति में आरक्षण लागू करना चाहिए। इस हिसाब से भविष्य में बिहार का नेतृत्व किसी सवर्ण को ही होना चाहिए और इतना ही नहीं बिहार की राजनीति में सवर्णों को ही आरक्षण मिलना चाहिए। वही उन्होंने कहा कि राजनीति में जो आरक्षण दी जाती है वह संविधान के अनुच्छेद 14 ,15, 16 में नहीं आती यह केवल सामाजिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों की आरक्षण की बात और समानता की बात करती है। राजनीति में आरक्षण राजनीतिक पिछड़ेपन के हिसाब से होता है। लेकिन बार-बार चुकी अज्ञानी लोग राजनीति में प्रवेश कर चुके हैं और जनहित की राजनीति छोड़ जाति की राजनीति की ओर वह केंद्रित है। इसी कारण से आरक्षण में विवाद पैदा हो रहा है। आप गौर से देखेंगे तो राजनीतिक पिछड़ेपन के हिसाब से राजनीति में हिस्सेदारी में सबसे ज्यादा पिछड़े सवर्ण समाज ही हैं। जिन्हें आज ऊपर उठाने की आवश्यकता है।

वही उन्होंने कहा की गौर करें तो बिहार में पिछड़ी जाति ही राजनीतिक रूप से सबसे मजबूत है। फिर बिहार में पिछड़ी जातियों को आरक्षण क्यों। गौर फरमाया जाए तो पिछले करीब 25 वर्षों से राज्य का नेतृत्व ही पिछड़ी जाति के लोग कर रहे हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है। मैं पिछड़ी जातियों द्वारा की जा रही नेतृत्व की बुराई नहीं कर रहा और ना ही उनके नेतृत्व के खिलाफ हूं। लेकिन बार-बार जो आरक्षण के सवाल पर विवाद पैदा होता है। तो आरक्षण तो राजनीतिक रूप से पिछड़ेपन पर होनी चाहिए। जब पिछड़ी जाति का ही नेतृत्व पूरे बिहार में पिछले 25 वर्षों से रहा है।  तो फिर पिछड़ी जातियां राजनीतिक रूप से पिछड़ी है कहां। इसीलिए अगर हकीकत पूछा जाए तो बिहार समेत देशभर में सवर्ण जातियों को राजनीति में आरक्षण देना चाहिए। वही रजनीश तिवारी ने कहा कि बिहार में राजनीतिक रूप से पिछड़े सवर्ण समाज को अपने आप को मजबूत बनाने के लिए वह जल्द ही माननीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे एवं 1 सप्ताह के भीतर इस पूरे मामले पर एक रिप्रेजेंटेशन प्रधानमंत्री जी को भेजा जाएगा। जिसपर भारत सरकार संसद से विधिवत रूप से कानून पारित कर इसको लागू करें। यह समीक्षा का विषय है और सवर्णों का अधिकार जो आज उनसे छिनता जा रहा है।

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