पटना में डेंगू का प्रकोप जारी: 102 नए मामले मिले, अलर्ट मोड पर स्वास्थ्य विभाग

पटना। बिहार की राजधानी पटना में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। शहर में डेंगू के 102 नए मामले सामने आए हैं, जबकि पूरे राज्य में 186 मरीजों की पुष्टि हुई है। डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मच्छरजनित बीमारियों की तेज़ी से फैलती इस लहर ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर ला दिया है। विशेषज्ञों ने लोगों को सतर्क रहने और मच्छरों से बचाव के उपाय अपनाने की सख्त सलाह दी है। पटना जिले के जिन क्षेत्रों में डेंगू के मामले पाए गए हैं, उनमें कंकड़बाग, बांकीपुर, नूतन राजधानी, अजीमाबाद, पाटलिपुत्र, पटना सिटी और फुलवारीशरीफ जैसे इलाके प्रमुख हैं। पिछले 24 घंटों में कंकड़बाग में 25, बांकीपुर में 14, पाटलिपुत्र में 21, और फुलवारीशरीफ में 7 मरीजों की पुष्टि की गई है। इसके अलावा, अथमलगोला, बख्तियारपुर, पालीगंज, मसौढ़ी, खुसरूपुर, और दानापुर जैसे क्षेत्रों में भी नए मरीज मिले हैं। इससे साफ है कि पटना के लगभग हर हिस्से में डेंगू का असर फैल चुका है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब हम यह देखते हैं कि पिछले दिनों भी डेंगू के मामलों में उछाल देखा गया था। मंगलवार को राज्य में 234 और पटना में 126 नए मामले सामने आए थे। इस तरह के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि डेंगू का प्रकोप अभी समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है।
डेंगू के कारण और लक्षण
डेंगू, एडीज मच्छर के काटने से फैलता है, जो साफ पानी में प्रजनन करता है। खासकर बारिश के मौसम के बाद जब जगह-जगह पानी जमा हो जाता है, तब यह मच्छर तेजी से पनपता है और लोगों को संक्रमित करता है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी, और त्वचा पर लाल चकत्ते आना शामिल हैं। गंभीर मामलों में यह बीमारी डेंगू हेमोरेजिक फीवर का रूप ले सकती है, जिसमें प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है, जिससे रक्तस्राव और यहां तक कि मौत का खतरा भी बढ़ जाता है। पटना और राज्य के अन्य हिस्सों में डेंगू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इस पर नियंत्रण पाने के लिए तत्काल कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार ने मुफ्त डेंगू जांच की सुविधा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराई है ताकि लोग समय रहते इस बीमारी का पता लगवा सकें और उचित इलाज प्राप्त कर सकें।
स्वास्थ्य विभाग का अलर्ट और सावधानियां
डेंगू के बढ़ते मामलों के चलते स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर है। डॉक्टर और विशेषज्ञ लगातार लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि थोड़ी सी जागरूकता और कुछ सावधानियों से इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि घर या आसपास के क्षेत्रों में पानी जमा न होने दें, क्योंकि एडीज मच्छर साफ पानी में अंडे देता है। यदि कहीं पानी जमा हो, तो उसे तुरंत साफ करें या उसमें केरोसिन डाल दें, जिससे मच्छर पनपने का खतरा कम हो जाए। साथ ही, लोगों को मच्छरदानी का उपयोग करने, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने, और मच्छर भगाने वाले स्प्रे या क्रीम का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। विशेष रूप से शाम और सुबह के समय, जब एडीज मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं, तब इन उपायों को अपनाना बेहद महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों के अनुसार, फिलहाल डेंगू के मामलों में वृद्धि जारी है और जब तक मौसम में ठंडक नहीं आती, तब तक यह खतरा बना रह सकता है। इसलिए लोगों को इन दिनों अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति को डेंगू के लक्षण महसूस हों, तो उसे तुरंत जांच करानी चाहिए। समय पर जांच और इलाज से डेंगू के गंभीर रूप से बिगड़ने की संभावना को कम किया जा सकता है।
अस्पतालों में सुविधाएं और सरकार की तैयारी
सरकारी अस्पतालों में डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। अस्पतालों में निशुल्क जांच की व्यवस्था है और डॉक्टरों को विशेष रूप से डेंगू के मामलों के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने सभी जिलों में मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस अभियान के तहत फॉगिंग, दवाइयों का छिड़काव, और जन जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। हालांकि, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए सरकार के साथ-साथ आम जनता को भी जिम्मेदारी निभानी होगी। मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करना, सफाई का ध्यान रखना, और खुद की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही इन बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर उपाय है। पटना और बिहार के अन्य जिलों में डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसने स्वास्थ्य विभाग और सरकार को अलर्ट मोड पर ला दिया है। सरकारी प्रयासों के साथ-साथ लोगों को भी अपनी सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना जरूरी है। थोड़ी सी सावधानी और समय पर जांच इस बीमारी से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
