September 15, 2025

संजय राउत का केंद्र पर हमला, कहा- भारत-पाक मैच में खेला गया 1.5 लाख करोड़ का सट्टा, पैसे से आतंकवाद में होगा इस्तेमाल

मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने एशिया कप 2025 में खेले गए भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर केंद्र सरकार और बीसीसीआई पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि इस मैच पर बड़े पैमाने पर सट्टा खेला गया, जिसकी रकम न केवल भारत के लिए हानिकारक है, बल्कि पाकिस्तान के आतंकवाद को भी मजबूत करने में इस्तेमाल हो सकती है।
1.5 लाख करोड़ रुपये के सट्टे का दावा
राउत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत-पाकिस्तान मैच पर लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का सट्टा खेला गया। उनका आरोप है कि इस भारी-भरकम रकम में से लगभग 25,000 करोड़ रुपये पाकिस्तान पहुंचे। यह रकम वहां के तंत्र और संगठनों के जरिए भारत विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह केवल खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को मिली मोटी रकम
संजय राउत ने दावा किया कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को इस मैच से सीधे तौर पर 1,000 करोड़ रुपये मिले। उनका कहना था कि इस पैसे का इस्तेमाल पाकिस्तान सरकार या वहां की अन्य संस्थाएं आतंकवादी गतिविधियों के लिए कर सकती हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं जैसे आईएमएफ और एशियाई विकास बैंक से पाकिस्तान को ऋण न देने की बात करती है, तब ऐसे मैचों के जरिए पाकिस्तान को आर्थिक मदद क्यों दी जाती है।
सरकार और बीसीसीआई पर सवाल
राउत ने केंद्र सरकार और बीसीसीआई पर भी निशाना साधते हुए कहा कि क्या उन्हें इस पूरे सट्टेबाजी नेटवर्क और वित्तीय लेन-देन की जानकारी नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए पाकिस्तान को धन पहुंचाया जा रहा है। राउत ने गृह मंत्री अमित शाह के बेटे और बीसीसीआई सचिव जय शाह का नाम लेते हुए कहा कि बीसीसीआई के फैसलों से पाकिस्तान को फायदा हो रहा है, और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक है।
मैच का विरोध और विरोधाभास
शिवसेना (यूबीटी) और अन्य विपक्षी दल पहले से ही भारत-पाकिस्तान मैच का विरोध कर रहे थे। उनका मानना था कि जब जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में हमारे जवान शहीद हो रहे हैं, तब पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना शहीदों और उनके परिवारों का अपमान है। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस मैच का बहिष्कार करने की अपील की थी। इसके बावजूद दुबई के इंटरनेशनल स्टेडियम में मैच खेला गया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान को सात विकेट से हराया।
खिलाड़ियों का हाथ मिलाने से इनकार
मैच खत्म होने के बाद एक और घटना चर्चा का विषय बनी। भारतीय खिलाड़ियों ने पारंपरिक प्रथा के अनुसार पाकिस्तान खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया। राउत ने इसे भी एक सोचा-समझा तमाशा करार दिया। उनका कहना था कि यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया, बल्कि बीसीसीआई का सामूहिक फैसला था ताकि जनता को यह दिखाया जा सके कि भारत पाकिस्तान के साथ सामान्य संबंध नहीं रखता। उन्होंने इस व्यवहार को दिखावटी बताया।
आतंकवाद और राजनीतिक लाभ का आरोप
संजय राउत का सबसे गंभीर आरोप यह था कि पाकिस्तान को दिए जा रहे आर्थिक लाभ का सीधा संबंध आतंकवाद से है। उन्होंने कहा कि इस मैच के जरिए पाकिस्तान को जो पैसा मिला, वह आतंकवादी गतिविधियों में खर्च किया जाएगा। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि यह सब एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, ताकि पाकिस्तान से खतरा बना रहे और भारत में सत्ता पक्ष को राजनीतिक फायदा मिलता रहे।
विपक्ष का रुख और जनता की भावना
एशिया कप से पहले ही विपक्षी दल और सामाजिक संगठन लगातार सरकार से इस मैच को रद्द करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि खेल और राजनीति को अलग रखना संभव नहीं है, जब विरोधी देश आतंकवाद के जरिए भारत को लगातार चुनौती दे रहा है। पहलगाम हमले में शहीद हुए जवानों के बाद इस मैच को आयोजित करना देश की भावनाओं के विपरीत माना गया। संजय राउत के आरोपों ने भारत-पाक क्रिकेट मैच को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। उन्होंने न केवल बड़े पैमाने पर हुई सट्टेबाजी का मुद्दा उठाया, बल्कि यह भी सवाल किया कि क्यों पाकिस्तान को आर्थिक लाभ पहुंचाने वाले मैच आयोजित किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि यह केवल खेल का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न है। दूसरी ओर, सरकार और बीसीसीआई की ओर से इस पर अभी कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस पूरे विवाद ने यह साफ कर दिया है कि भारत-पाक क्रिकेट मैच अब सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा के आयामों से भी गहराई से जुड़ गया है।

 

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