सर्वार्थ सिद्धि योग में 3 अगस्त को अंतिम सोमवारी के साथ रक्षाबंधन का त्योहार, जाने राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

पटना। सावन शुक्ल पूर्णिमा को सावन की पांचवी व अंतिम सोमवारी के दिन भाई-बहनों का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन श्रवणा नक्षत्र में मनाया जायेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन प्रात: 08:28 बजे के बाद से पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। यह भाई-बहन के अटूट प्यार और एक-दूसरे की रक्षा करने के संकल्प का पर्व है। इस साल कोरोना महामारी के कारण भाई को बहन के घर जाना मुश्किल है, इसीलिए बहनें कुरियर से राखी भेज रही हैं। उनकी मानें तो राखी के दिन शुभ मुहूर्त में आॅनलाइन राखी बांधेगी।
29 साल बाद राखी पर अद्भुत संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि सावन शुक्ल पूर्णिमा यानि रक्षाबंधन पर 29 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ आयुष्मान योग का संयोग बना है। इसी दिन सावन की पांचवी व अंतिम सोमवारी तथा श्रवणा नक्षत्र होने से इस दिन की महत्ता और बढ़ गयी है। मकर राशि में चन्द्रमा व सोमवार को पूर्णिमा होने से सोमवती पूर्णिमा का भी अद्भुत संयोग बन रहा है। इस उत्तम संयोग में राखी बांधने से ऐश्वर्य तथा सौभाग्य की वृद्धि होती है।
रक्षाबंधन पर बरसेगी शिव की असीम कृपा
पंडित झा के अनुसार इस बार रक्षाबंधन का त्योहार सावन की अंतिम सोमवारी के साथ सोमवती पूर्णिमा भी पड़ रहा है। इस दिन नामकरण, अन्नप्राशन, यात्रा, व्यापार, मोटर वाहन की खरीदारी और भाई-बंधु की रक्षा के लिए रक्षा से सूत्र बांधना शुभ होता है। राखी के दिन सोमवार होने से भगवान शिव की असीम कृपा भी रहेगी। पूजन की थाली में चंदन, अक्षत, मिष्ठान, पुष्प व राखी या मौली आदि सजाकर भोलेनाथ को अर्पण कर रक्षाबंधन करना शुभ फल देगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र को दानवों पर विजय प्राप्ति के लिए इंद्र की पत्नी से रक्षासूत्र बांधने के लिए कहा था, जिसके बाद देवराज इन्द्र ने विजय प्राप्ति की थी।
ग्रहण और भद्रा से मुक्त रहेगा रक्षाबंधन
ज्योतिर्विद आचार्य रुपेश पाठक के मुताबिक रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा भद्रा और ग्रहण से मुक्त ही मनाया जाता है। शास्त्रों में भद्रा रहित काल में ही राखी बांधने का प्रचलन है। भद्रा रहित काल में राखी बांधने से सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा प्रात: काल ही खत्म हो जाएगा। इसके अलावा इस बार श्रावण पूर्णिमा पर कोई ग्रहण या बाधा नहीं होने से यह पर्व का संयोग शुभ और सौभाग्यशाली रहेगा।
भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित
पंचांग के अनुसार जब भद्रा का समय होता है तो उस दौरान राखी नहीं बांधी जाती है। भद्राकाल के समय राखी बांधना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। जिस तरह से शनि का स्वभाव क्रूर और क्रोधी है उसी प्रकार से भद्रा का भी है। भद्रा के उग्र स्वभाव के कारण ब्रह्माजी ने इन्हें पंचाग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। पंचाग में इनका नाम विष्टीकरण रखा गया है। दिन विशेष पर भद्रा करण लगने से शुभ कार्यों को करना निषेध माना गया है। एक अन्य मान्यता के अनुसार रावण की बहन ने भद्राकाल में ही अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था, जिसके कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इसीलिए भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त : सुबह 08:28 बजे से 10:30 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:29 बजे से 12:22 बजे तक
गुली काल मुहूर्त : दोपहर 01:35 बजे से 03:14 बजे तक
राशि के अनुसार बांधे राखी
मेष – लाल, केसरिया या पीला रंग की राखी
वृष – नीले रंग या चांदी की राखी
मिथुन – हरे रंग की राखी
कर्क – सफेद धागे या मोती से निर्मित राखी
सिंह – गुलाबी, लाल या केसरिया रंग की राखी
कन्या – सफेद या हरे रंग की राखी
तुला – फिरोजी या जमुनी रंग की राखी
वृश्चिक – लाल रंग की राखी
धनु – पीले रंग की राखी
मकर – गहरे लाल रंग की राखी
कुंभ – रुद्राक्ष से निर्मित राखी
मीन – पीला या सफेद रंग की राखी
