सन्न छै आकाश, आस-पास पानी-पानी, सखि हे! काटै छी रात कानी-कानी

आनलाइन कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समां

भागलपुर। मनमीत के प्रीत जरे, बरसे बदरा सावन में… की पंक्तियों से 82 वर्षीय कविवर रामचंद्र सिंह ने जब बरखा गीत का काव्य अलाप लिया तो सचमुच चुप्पी का माहौल टूटकर वहां गर्जन-तर्जन की ध्वनि की गूंज से माहौल बरखामय हो गया। मौका था सांस्कृतिक संस्था जुटान द्वारा आयोजित आॅनलाइन कवि सम्मेलन का, जिनमें दर्जनभर कवियों ने वर्तमान की विडंबनाओं और चुनौतियों से संबंधित रचनाओं का काव्य पाठ किया। आयोजित आनलाइन कवि सम्मेलन की अध्यक्षता जमशेदपुर के चर्चित कवि लक्ष्मण प्रसाद ने की, वहीं संचालन कार्यक्रम के संयोजक कविवर शंभू विश्वकर्मा ने किया।
काव्यारंभ मां सरस्वती की वंदना से हुई। तत्पश्चात शेखपुरा से कवि रामचंद्र, जयनंदन, किरण कुमारी, रांची से अमन कुमार, गया से अरूण हरलीवाल, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से प्रेमचंद दुबे के अलावा नवादा से मिथिलेश, कृष्ण कुमार भट्टा, परमानंद, अवधेश प्रसाद, डीके अकेला, अशोक समदर्शी, नरेंद्र प्रसाद सिंह आदि ने टेक्नोलॉजी के आधुनिकतम परिवेश में ढलकर समसामयिक रचनाओं का पाठ किया। वहीं भागलपुर के चर्चित कवि सह गीतकार राजकुमार ने अंगिका गीत की प्रस्तुति देते हुए सन्न छै आकाश, आस-पास पानी-पानी, सखी हे! काटै छी रात कानी-कानी… की बरखा गीत से श्रोता एवं कवियों का मन मोह लिया और पूरे वातावरण को अंगिकामय बनाकर खूब तालियां बंटोरी।
वहीं कवियत्री किरण कुमारी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा का यथार्थ रूप प्रदान किया, तो हरलीवाल ने गांव को जीवंत रखने और बनाने की प्रेरणा दी। तत्पश्चात इस आॅनलाइन कवि सम्मेलन में उपस्थित कवियों ने अपने एक से बढ़कर एक रचनाओं के गोले दागते हुए हर किसी ने देश भक्ति से लेकर वीर रस, हास्य रस व श्रृंगार रस में काव्य पाठ कर उपस्थित श्रोताओं को लोट-पोट कर दिया।