संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई को जारी रहेगा

इमारत शरिया के आह्वान पर सीएए, एनआरसी, एनपीआर के विरोध मे गांधी मैदान में सभी दलों ने कानून की वापसी की मांग की
फुलवारी शरीफ। सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ पटना के गांधी मैदान में आयोजित धरना में सभी प्रमुख विपक्षी दलों के लोगों ने भाग लिया। इस धरना का एलान इमारते शरिया के आह्वान पर किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यवाहक नाजिम इमारत शरिया मौलाना शिवली अल कासमी ने की जबकि संचालन एजाज अहमद, राष्ट्रीय प्रधान महासचिव, जन अधिकार पार्टी लो ने की।
धरना को पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी, पूर्व केंद्रीय मंत्री रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा, इमारत शरिया के कार्यवाहक नाजिम मौलाना मुहम्मद शबिली अल-कासमी, राजद नेता और विधानसभा के पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी, भाकपा के सत्य नारायण सिंह, भाकपा माले नेता केडी यादव, वीआईपी के नेता बाल गोविंद, कांग्रेस नेता मुशर्रफ अली, जन अधिकार पार्टी से एजाज अहमद, रघुपति सिंह, प्रेमचंद सिंह, अकबर परवेज, संदीप सिंह समदर्शी, सूरज नारायण साहनी सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया। संयुक्त रूप से वक्ताओं ने बिहार सरकार से मांग की है कि विधानसभा में एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करके बिहार सरकार इसे लागू ना करने का आश्वासन दिलाए।
सभी वक्ताओं ने लोगों को सीएए, एनपीआर और एनआरसी की खराबियों के बारे में जागरूक किया और कहा कि यह काला कानून देश के सभी निवासियों को गुलाम बनाने वाला कानून है, चाहे वह जिस धर्म का पालन करता हो। यह कानून देश के लोकतंत्र और उसकी संस्कृति को नष्ट कर देगा। केंद्र सरकार द्वारा लगातार झूठ बोलने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी स्तरों पर विफल रही है, बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है, रुपये का मूल्य हर दिन कम हो रहा है, सरकारी संपत्ति निजी हाथों में है। देश एक बार फिर भ्रष्ट हाथों में चला गया है, इसलिए देश की जनता देश में एक बार फिर से स्वतंत्रता चाहती है। वक्ताओं ने कहा कि जब तक इस कानून को वापस नहीं लिया जाता, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि देश की महिलाएं इस अभियान में शामिल हैं। महिलाओं में बहुत शक्ति होती है। वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र में सार्वजनिक शक्ति असली चीज है।
मौके पर समी-उल-हक, अशरफ अली, असगर अली, हुमायूं अशरफ और मुफ़्ती वसी अहमद कासिमी, डिप्टी काजी इमारत ए शारिया, मौलाना अरशद रहमानी साहिब, माले नेता साधु शरण, मौलाना एजाज करीम कासमी, मौलाना अहमद हुसैन कासमी साहब, मौलाना गोहर इमाम साहब, मौलाना इकबाल सादती सहित अन्य ने शामिल होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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