विधायक को कैसे मिली अनुमति, होगी पूरी जांच; लॉकडाउन को लेकर भ्रम ना पालें लोग: डीजीपी

पटना। कोरोना वायरस को देखते हुए देश्सव्यापी लॉक डाउन-2 के बीच काफी दिनों बाद सरकारी कार्यालयों पर रौनक लौटी। केंद्र सरकार की गाइडलाइन को अपनाते हुए राज्य सरकार ने सरकारी कार्यालय खोलने का निर्देश दिया है ताकि अटके पड़े कुछ योजनाओं पर काम शुरू किया जा सके है। इसे लेकर बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने सोमवार को कहा कि गृह मंत्रालय ने कुछ कार्यों को करने के लिए छूट दी है और जो लोग इससे संबंधित नहीं हैं, वह घर पर ही रहें। डीजीपी ने कहा कि विधायक को कैसे अपनी बेटे या बेटी को कोटा से लाने की अनुमति मिली, इस मामले की भी पूरी जांच की जाएगी।
डीजीपी ने स्पष्ट किया कि लॉकडाउन के दौरान अगर लोग ये समझने लगे हैं कि उन्हें भी छूट दे दी गई है तो ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि 3 मई तक आदेशानुसार लॉकडाउन रहेगा और कुछ केवल जरूरी सेवाओं में ही छूट दी गई है। इन लोगों को देखकर आम लोग ना निकलें, आमजन के निकलने पर पुलिस कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी ने आगे कहा कि बिहार पुलिस सेवा और कर्म दोनों में अव्वल है और चाहे कोई भी गलती करे, चाहे वो कोई भी क्यों ना हो? बख्शा नहीं जाएगा। लॉकडाउन का नियम सबके लिए एक समान है।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर जहानाबाद के एक गांव में मछली पार्टी आयोजित करने का वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन से पुलिस मुख्यालय तक हरकत में आ गया है और उसके बाद शिक्षा मंत्री के निजी सचिव सहित जहानाबाद के डीएसपी बीडीओ और सीओ के खिलाफ एफआईआर करने का डीजीपी ने आदेश दे दिया है। मंत्री के निजी सचिव के घर लॉक डाउन के दौरान सामूहिक भोज में शामिल होने का आरोप था और फिर डीजीपी के आदेश से मंत्री के निजी सचिव को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया। आरोपी आठ लोगों के खिलाफ मखदुमपुर थाने में एफआईआर (नंबर-129/2020) दर्ज की गई। नामजद आरोपियों की सूची में मखदुमपुर के बीडीओ अनिल मिस्त्री, सीओ राजीव रंजन व अन्य शामिल हैं।
