महिलाएं जान जोखिम में डाल कर रही सर्वे का काम, सुने उन्हीं की जुबानी
फुलवारी शरीफ (अजीत)। कोरोनो प्रभावित इलाके में घर-घर जाकर सर्वे के दौरान टीम के सदस्यों आशा कार्यकर्त्ता, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, एएनएम, सुपरवाईजर समेत अन्य सर्वेयर टीम के सदस्यों को जान जोखिम में डाल कर सर्वे का काम पूरा करना पड़ रहा है। आशा कार्यकर्ताओं का दर्द इस कोरोना की लड़ाई में डराने वाला है। भुसौला चक पर निवासी हेमंती देवी आशा कार्यकर्ता हैं और उनके पति कमलेश कुमार सिंह दानापुर में वास्तु विहार अपार्टमेंट निर्माण में गार्ड का काम करते हैं। सर्वे के दौरान आठ घंटे तक बच्चों को घर में अकेला छोड़ देना पड़ता था। सुबह में बेटी हेमा रानी और बेटा अमन राज को छोड़कर सर्वे पर निकलती थी तो जान सांसत में रहती थी। घर लौटते ही सबसे पहले सैनिटाइजर लगाते, फिर नहाना पड़ता था। उसके बाद ही घर गृहस्थी की कोई काम में लगती थी। आशा कार्यकर्ता मंजू देवी ने बताया कि ईसापुर और नया टोला के बीच पेट्रोल लाइन इलाके में करीब दस दिन पूर्व सर्वे के दौरान उग्र लोगों की भीड़ से घिर गई। भीड़ ने आशा कार्यकर्ता का मोबाइल भी छीन लिया। मंजू ने बताया कि लगा अब भीड़ जान मार देगी। साथ में रहा बेटा मणि भी घबरा गया। बेटे ने अपने मोबाइल से पहचान वाले दो लोगो को कॉल कर बुलाया तो उनलोगों ने भीड़ से मां-बेटे को निकाला। किसी तरह एक बुजुर्ग ने मोबाइल लौटवाया और भागे भागे पीएचसी पहुंचे, जहां प्रभारी डॉ. आरके चौधरी और हेल्थ मैनेजर शिप्रा चौहान को जानकारी दी। वहीं थाना की पुलिस जीप थी लेकिन बताने पर भी कोई मदद नहीं मिली। मंजू देवी ने कहा, क्या करें सर जान पर खेलकर कोरोना के डर के बीच काम करना पड़ रहा है। इसी तरह एएनएम शोभा और अनुपम ने भी अपनी परेशानिया भरी दास्तान सुनाई। इस संबंध में फुलवारी पीएचसी मैनेजर शिप्रा चौहान ने भी बताया कि सर्वे करने के दौरान कई इलाकों में परेशानिया हो रही है लेकिन हमें लोगों को कोरोना से सचेत करने के लिए जागरूक करने का काम मुश्किल परिस्थितियों में भी पूरा करना पड़ रहा है।


