महागठबंधन में प्रेशर पॉलिटिक्स का दौर शुरू, कांग्रेस ने तेजस्वी के नेतृत्व पर उठाया सवाल
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के बीच अभी से घमासान शुरू हो गया है। ज्यादा सीट पाने को लेकर महागठबंधन में प्रेशर पॉलिटिक्स का दौर आरंभ हो चुका है। बता दें विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में संभावित है, लेकिन कांग्रेस ने राजद पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। साथ ही कांग्रेस ने राजद नेता व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए हैं।
शुक्रवार को कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह ने कहा कि 2015 की तुलना में इस बार हम ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार जदयू भी महागठबंधन का हिस्सा थी और 101 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस बार जदयू महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। ऐसे में अब सिर्फ 101 सीटों पर ही बंटवारा होना चाहिए। हालांकि अखिलेश सिंह ने यह साफ नहीं किया कि कांग्रेस कितने सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में हम 9 सीटों पर चुनाव लड़े थे। उस अनुपात से भी देखा जाए तो विधानसभा चुनाव में हमलोगों की ज्यादा सीटें बनती है। बता दें कि 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव जदयू और राजद ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस को 41 सीटें दी गई थी। अखिलेश सिंह यही नहीं रूके, उन्होंने तेजस्वी के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि नेतृत्व कौन करेगा यह अभी तय नहीं है। गठबंधन के नेतृत्व पर सबलोग मिलजुल कर निर्णय करेंगे।
बताते चले कि पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि तेजस्वी अपने आगे किसी को नहीं समझते हैं। लालू को जेल भिजवाने वाले उनके करीबी बन गए हैं। ऐसे लोग तेजस्वी को गाइड कर रहे हैं। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि महागठबंधन टूट के कगार पर खड़ा है और अब कांग्रेस ने तेजस्वी के नेतृत्व पर भी सवाल खड़ा कर एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो हवा दे दी है। बहरहाल, आगे देखना है कि महागठबंधन का नेतृत्वकर्ता कौन होगा?


