भागलपुर : चिकित्सा जगत के पितामह डॉ. लक्ष्मीकांत सहाय के आकस्मिक निधन से छाई शोक की लहर
भागलपुर। भागलपुर चिकित्सा जगत के पितामाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरोधा कहे जानेवाले 89 वर्षीय डॉ. लक्ष्मीकांत सहाय का 89 वर्ष में आकस्मिक निधन से अंग महाजनपद के हृदय स्थल भागलपुर में शोक की लहर छा गई है। वे पिछले विगत छह माह से बीमार थे। इस बाबत उनके पुत्र राजेश सहाय ने बताया कि 28 जुलाई को बरारी श्मशान घाट में उनका दाह संस्कार होगा। उनके कुछ स्वजनों के आने का इंतजार है।
चिकित्सा जगत में शोक
डॉ. सहाय जवाहर लाह नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में आंख, नाक, कान और गले संबंधी रोगों के विभागाध्यक्ष भी रहे थे। उनके निधन से भागलपुर के चिकित्सा जगत में शोक है। आरएसएस सहित उनके अनुषांगिक संगठनों के अलावा कई सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काफी करीबी रहे
डॉ. लक्ष्मीकांत सहाय ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उसके अनुषांगिक संगठन और समाज के लिए समर्पित कर दिया था। आरएसएस के प्रति उनका लगाव बचपन से ही था। वे संघ संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन से काफी प्रभावित थे। वे हमेशा डॉ. हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक डॉ. माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर ‘गुरुजी’ के व्यक्तित्व का अध्ययन करते रहते थे। स्वामी विवेकानंद ने भी उनके जीवन पर काफी प्रभाव छोड़ा था। भागलपुर के तत्कालीन विभाग प्रचारक उद्यम चंद्र शर्मा के प्रयास से उन्हें संघ में दायित्व दिया गया। उसके बाद वे भागलपुर जिला के संघचालक बने। वर्तमान में सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत से उनके काफी मधुर संबंध थे। जब मोहन राव भागवत अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख सह उत्तर-पूर्व क्षेत्र प्रचारक थे, उसी समय डॉ. सहाय को भागलपुर जिला संघचालक का दायित्व मिला था। इस कारण डॉ. मोहन राव भागवत और डॉ. लक्ष्मीकांत सहाय का अक्सर कार्यक्रमों और बैठकों में लगातार मिलना-जुलना होता रहता था।


