भागलपुर : काढ़ा तो दूर गर्म पानी भी नसीब नहीं, चादर और भोजन तक घर से मंगवाते हैं मरीज

भागलपुर (गौतम सुमन गर्जना)। टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में बने कोविड सेंटर में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। कोरोना मरीजों के इलाज से लेकर खानपान में भी लापरवाही बरती जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार यहां एक सप्ताह तक बेड का चादर भी नहीं बदला जाता है। काढ़ा तो दूर, गर्म पानी भी मरीजों को रोज नहीं मिलते हैं। भोजन में भी गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। ऐसे में कई मरीज घर से भोजन मंगवा रहे हैं। जिस तरह लोग कोरोना से सहमे और डरे हुए हैं, उसी तरह कोरोना के मरीज भर्ती होने से भी डर रहे हैं। अभी भी यहां 70 मरीज भर्ती हैं, इसमें सभी की जान आफत में है, उन्हें यह डर है कि कब क्या हो जाएगा? उनकी जान बचेगी या नहीं? यहां की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छिपी हुई नहीं है। कोई दवा के लिए परेशान है, तो कोई भूख से। हर जगह लापरवाही ही दिख रही है। मरीजों को समय पर भोजन की बात तो दूर दवा भी समयानुसार नहीं मिल रहा है। चिकित्सक कब आएंगे, किसी को मालूम नहीं है।
मरीजों की मानें तो बिजली गुल होने के बाद जनरेटर भी समय पर नहीं चलता है। कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों ने फोन कर यहां की व्यवस्था के बारे में हमारे संवाददाता को जानकारी दी। कोविड सेंटर के एक नंबर बिल्डिंग से दस दिन बाद निकले मरीज ने बताया कि कोविड सेंटर का हाल काफी दयनीय है। दस दिनों में तीन दिन काढ़ा मिला, गर्म पानी के लिए भी काफी जद्दोजहद करना पड़ता था। एक बार दवा देने के बाद कोई झांकने भी नहीं आया। कई बार कहने के बाद भी बेडशीट नहीं बदला गया। एक बेडशीट पर ही मरीज 10 से 12 दिन रहते हैं। भोजन की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। शिकायत के बाद भी कोई हल नहीं निकला। कोविड सेंटर से बाहर निकले कहलगांव के मरीज ने बताया कि भोजन घटिया रहता है। दस दिन सेंटर में रहे, इसमें से ज्यादा दिन घर से ही भोजन मंगवाए। गर्म पानी भी बाहर से मंगाना पड़ता था। शौचालय की हालत भी बदतर है। सफाई भी नियमित रूप से नहीं होती। चिकित्सक तो एक दिन झांकने भी वार्ड में नहीं आते थे। कुल मिलाकर कोरोना मरीज पूरी तरह से भगवान के भरोसे ही हैं।
इस बाबत टीटीसी कोबीड सेंटर के शिफ्ट प्रभारी डॉ. अमित कुमार शर्मा ने बताया कि बेडशीट मरीजों के कहने पर बदल दिए जाते हैं। नाश्ता और भोजन नियमित रूप से मिलते हैं। काढ़ा भी दिया जाता है। मरीजों का ख्याल रखा जा रहा है।
