बिहार से होता है देश में सबसे ज्यादा बच्चों की ट्रैफिकिंग, मुक्ति कारवां अभियान की हुई शुरुआत

अभियान का उद्देश्य बाल श्रम से मुक्त करने के लिए 1000 स्वयंसेवक तैयार करना


पटना। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा संचालित मुक्ति कारवां ने लॉकडाउन की वजह से बिहार में बाल ट्रैफिकिंग के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए जन-जागरुकता अभियान शुरू किया है। अभियान को डिजिटल माध्यम के जरिए लांच किया गया। यह अभियान बिहार के उन 10 जिलों के 1000 से अधिक गांवों में चलाया जाएगा, जो बाल ट्रैफिकिंग के दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील हैं। गौरतलब है कि केएससीएफ की सहयोगी संस्था बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने पिछले सालों इन्हीं गांवों के बाल ट्रैफिकिंग के शिकार सबसे अधिक बच्चों को मुक्त कराया था। मुक्ति कारवां गांवों और दूरदराज के इलाकों में घूमकर बाल ट्रैफिकिंग, बाल मजदूरी, बाल विवाह और बाल यौन शोषण जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जन जागरुकता फैलाने का काम करेगा। यह जन-जागरुकता अभियान बिहार के सीतामढ़ी, गया, समस्तीहपुर, कटिहार, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, अररिया और पूर्णिया में चलाया जाएगा। अगले छह महीने तक चलने वाले इस अभियान का संचालन पूर्व में बाल मजदूर रह चुके नौजवान करेंगे।
वेबिनार को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यास जी ने कहा कि जिन परिस्थितियों में अप्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं, उससे बाल मजदूरी और ट्रैफिकिंग बढ़ने की संभावना है, साथ ही उन्होंने आगे कहा, कई अप्रवासी मजदूरों की इस दौरान मृत्यु भी हुई है। उनके परिवारों पर विशेष नजर रखने की जरूरत है। मजबूरी में उनके बच्चे बाल मजदूरी और ट्रैफिकिंग के शिकार हो सकते हैं। वहीं प्रधान सचिव विजय लक्ष्मी ने कहा, जब तक हम गरीबी, अशिक्षा को दूर नहीं करेंगे और गरीब बच्चों के माता-पिता के लिए रोजगार का कोई अवसर उपलब्ध नहीं कराएंगे, हम इस समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं।
वेबिनार का संचालन और स्वागत भाषण बीबीए के बिहार और झारखंड राज्य के समन्वयक मुख्तारुल हक ने किया। सत्यार्थी आंदोलन और मुक्ति कारवां अभियान के उद्देश्यों पर केएससीएफ के कार्यकारी निदेशक (कैंपेन) विधानचंद्र सिंह ने प्रकाश डाला। बिहार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रमिला प्रजापति, बिहार राज्यि विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्यण सचिव सुनील दत्त मिश्र, बिहार सरकार के गन्ना उद्योग विभाग की प्रधान सचिव विजय लक्ष्मी, सीतामढ़ी की विधायक श्रीमती रंजू गीता और कटिहार के कदवा से विधायक शकील अहमद खान भी इस कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर बीबीए के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


कोरोना महामारी की वजह से मुक्ति कारवां
जागरुकता अभियान के तौर-तरीकों में इस बार बदलाव किया गया है। नौजवान लॉकडाउन खत्म होने तक डिजिटल माध्यमों के जरिए ग्राम पंचायतों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन के संपर्क में रहेंगे। जैसे ही लॉकडाउन खत्म होता है वे लोगों के बीच पहुंचने के लिए सचल दस्ता की जगह सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए साईकिल का उपयोग करेंगे और बाल दुर्व्यापार के खिलाफ जन-जागरुकता फैलाएंगे।
बता दें मानव दुव्यार्पार हथियार और ड्रग्स के बाद दुनिया का सबसे बड़ा संगठित अपराध है। बाल दुव्यार्पार के मामले में बिहार देश के सबसे संवेदनशील राज्यों में से एक है। बीबीए ने अपने अध्ययन में यह पाया कि उसने दिल्ली एनसीआर में अपने छापामारी अभियान के जरिए जितने बच्चों को जबरिया बाल मजदूरी से मुक्त कराया है, उनमें आधे से ज्यादा करीब 54 फीसदी संख्या बिहार के बच्चों की थी। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2018 में बिहार से सबसे ज्यादा बच्चों का दुर्व्यापार किया गया। कुल 1170 लोगों का दुर्व्यापार किया गया, जिनमें बच्चों की संख्या 539 थी। जबकि 2017 में बिहार बाल दुर्व्यापार के मामले में तीसरे स्थान पर था।

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