बिहार सरकार स्पष्ट करें, किसे माना जाए अधिकृत बयान अधिकारियों का या उपमुख्यमंत्री का : राजद

पटना। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा दिए गए बयानों और किये गये ट्वीट के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। राजद नेता ने कहा है कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि सरकार के विभागीय अधिकारियों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को सरकार का अधिकृत बयान माना जाये या उपमुख्यमंत्री द्वारा जारी बयान अथवा उनके अधिकारिक ट्वीट को। क्योंकि उपमुख्यमंत्री के बयान और सरकार के अधिकारियों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में विषय-वस्तु और आंकड़ों में काफी अंतर रहता है। जिससे लोगों में भ्रम पैदा होता है और दोनों के बयानों की विश्वसनीयता पर संदेह होने लगता है। अभी सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा कोरोना संक्रमण से संबंधित जो बयान दिए गये हैं और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा जो ट्वीट किया गया है, दोनों आंकड़ों में काफी अंतर है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-मई में रिकवरी का जो अनुपात 76-78 प्रतिशत था, वह जुलाई के तृतीय सप्ताह के शुरू में कम होकर लगभग 63 प्रतिशत आ गया था। कल 25 जुलाई को अधिकारियों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार रिकवरी रेट सुधर कर 67.52 प्रतिशत पर आ गया है। जबकि सुशील मोदी द्वारा कल शाम को ट्विट के माध्यम से यह दावा किया गया कि बिहार में पहले रिकवरी रेट 51.80 प्रतिशत था, जो अब बढकर 63 प्रतिशत हो गया है। पहली बात बिहार हीं नहीं बल्कि देश में कहीं भी और कभी भी रिकवरी रेट 51.80 प्रतिशत रहा हीं नहीं और दूसरी बात उपमुख्यमंत्री एवं पदाधिकारियों के द्वारा बताए गए रिकवरी रेट के आंकड़ों में 4.52 प्रतिशत का बड़ा अंतर है। इस प्रकार परस्पर विरोधी आंकड़ों से आंकड़ों की विश्वसनीयता पर संदेह होने लगता है। राजद नेता ने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए कि सरकार का अधिकृत बयान उपमुख्यमंत्री के ट्विट को माना जाये अथवा पदाधिकारियों द्वारा जारी विज्ञप्ति को।
