बिहार : सत्तर घाट पुल ध्वस्त होने की उच्चस्तरीय जांच और मंत्री से इस्तीफे की मांग
पटना। गोपालगंज के सत्तर घाट महासेतु के बरसात के पहले धार के दवाब के कारण ध्वस्त होने के मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। 264 करोड़ की लागत से निर्मित बिहार के गोपालगंज के सत्तर घाट पुल बुधवार को ध्वस्त हो गया। मात्र एक महीना पहले 16 जून को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उक्त महासेतु का उद्घाटन किया था। इस पुल के ध्वस्त होने का मुख्य कारण भ्रष्टाचार है। उक्त बातें सीपीआई (एम) के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने प्रेस बयान जारी कर कहा है।
उन्होंने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस राज्य में सरकार के संरक्षण में ठेकेदार, इंजीनियर, नौकरशाह के गठजोड़ को सरकारी धन लूटने की पूरी छूट मिली हुई है। खराब एवं घटिया सामानों से निर्मित इस पुल का ध्वस्त होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इससे पहले भी राज्य में अनेकों पूल-पुलिया और सड़क ध्वस्त होते रहे हैं। बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च का ब्यौरा दिए जाते हैं लेकिन बाढ़, वर्षा से तबाही में कोई कमी नहीं होती दिखाई देती है।
उन्होंने कहा कि गोपालगंज के सत्तर घाट पुल के ध्वस्त होने से एक बार फिर नीतीश सरकार की विकास के दावे की पोल खुल गई है। पार्टी मांग करती है कि पुल ध्वस्त होने की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, पुल निर्माण में शामिल इंजीनियर, ठेकेदार और आला अधिकारियों को तुरंत गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया जाए, साथ ही पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव इस्तीफा दें।


