बिहार में 23 साल बाद आया फैसला, रिटायर्ड डीएसपी समेत पांच दोषियों को उम्रकैद

गया। बिहार की एक अदालत ने रिटायर्ड डीएसपी समेत चार पुलिसकर्मियों और एक एनएमसीएच कर्मी को हत्या कर शव जलाने में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनायी है। पांचों दोषियों को जस्टिस दिग्विजय सिंह की अदालत ने सजा सुनायी है। यह फैसला घटना के 23 साल बाद शुक्रवार को आया। मिली जानकारी के मुताबिक, गया के कोतवाली थाना इलाके की मिरचईया गली निवासी एक युवक की हत्या कर दोषियों ने उसके शव को बुरी तरह जला दिया था। पांच दोषियों में तत्कालीन कोतवाली थानाध्यक्ष सह रिटायर्ड डीएसपी मुद्रिका प्रसाद यादव, तत्कालीन टास्क फोर्स के सदस्य शंभू सिंह और समीर सिंह, नयी गोदाम टोओपी के कान्स्टेबल नंदू पासवान और एएनएमसीएच के कर्मचारी विजय प्रकाश शामिल हैं। 23 साल पहले 26 अगस्त, 1996 को हुई इस वीभत्स घटना में दोषियों ने कोतवाली थाने की मिरचईया गली निवासी आपराधिक छवि के मुन्ना कुमार को बुला कर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद पुलिसवालों ने अज्ञात शव के रूप में पोस्टमार्टम करा कर उसे जला दिया था। गया की एक अदालत ने चार पुलिसकर्मी समेत पांच अभियुक्त को धारा 302, 34 में आजीवन कारावास और 25000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है। जुर्माना अदा नहीं करने के एवज में एक साल की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। धारा 364, 34 में 10 साल का सश्रम कारावास और 20000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है। जुमार्ना अदा नहीं करने की सूरत में नौ महीने की अतिरिक्त सजा होगी। वहीं, धारा 201, 34 में सात साल की सजा और 10000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है। जुर्माना अदा नहीं करने की सूरत में छह महीने की अतिरिक्त सजा सुनायी है। यह सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगे। अर्थदंड की राशि मृतक की विधवा अथवा माता-पिता को दी जायेगी।
