बिहार में बच्चियों के खिलाफ यौन शोषण के 515 मामले 2019 में किए गए दर्ज : अलका लांबा

पटना। बिहार में महिलाओं एवं बच्चियों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। जहां बच्चियां सहारा लेने जातीं हैं, वहीं उनके साथ बलात्कार होता है। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के बेटियों की चित्कार की गूंज पूरे विश्व ने सुनी है। आश्चर्य की बात तो ये है कि उस कांड के आरोपी को सत्तासीन लोग अपने दल से प्रत्याशी बनाए हुए हैं। ना तो बिहार की जनता और ना ही ईश्वर कभी इनको माफ करेगा। सच तो ये है कि जदयू-भाजपा गठबंधन की सरकार महिलाओं एवं बच्चों के प्रति एक असंवेदनशील सरकार है। उक्त बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की प्रवक्ता अलका लांबा ने पटना के एक होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही। बता दें बिहार में 28 अक्टूबर को पहले चरण का चुनाव होना है, ऐसे में सत्ताधारी दल और विपक्ष एक दूसरे पर लगातार हमलावर है। इस दौरान तरह-तरह के दावे-प्रतिदावे व आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी पूरे उफान पर है।


अलका लांबा ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना काल में अगर बिहार में सबसे अधिक कोई प्रातड़ित हुआ है तो वे हैं बिहार की महिलायें। जिन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ी। एक तो इनके घरवालों को काम छोड़ कर आना पड़ा, जिसके कारण इन्हें भयंकर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। दूसरी ओर लॉकडाउन के कारण पुरुषों के गुस्सा एवं यौन हिंसा का इन्हें बार-बार शिकार होना। उन्होंने बताया कि नीति आयोग के रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में फीमैल लेबर फोर्स पार्टिसपैशन रेट मात्र 2.8% है, जो देश में सबसे निचले स्तर पर है। राज्य में स्वतंत्र महिला एवं बाल कल्याण विभाग तक नहीं है, मात्र महिला निगम के भरोसे पूरा राज्य है, जहां के कर्मियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि मार्च 2015 में नीतीश सरकार ने सुंदर आवरण के साथ महिला सशक्तिकरण नीति 2015 कार्ययोजना के साथ लांच किया था, पर वह कागज के पन्नों में ही सिमट कर रह गया। उन्होंने महिलाओं एवं बच्चियों के प्रति बढ़ते ग्राफ का एक मात्र जिम्मेदार जदयू-भाजपा गठबंधन की सरकार को बताया। एनसीआरबी तथा बिहार राज्य महिला आयोग के आंकड़े का हवाला देते हुए बताया कि लॉकडाउन में महिलाओं के प्रति हिंसक अपराध में वृद्धि हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, बिहार में प्रतिदिन महिलाओं के विरुद्ध 51 मामले रिपोर्ट हो रहे हैं। 2017 से अब तक महिलाओं के विरुद्ध हिंसा में 26% की बढ़ोतरी हुई है। प्रतिदिन 4 बलात्कार के मामले यहां रिपोर्ट होते हैं। दहेज हत्या, अपहरण एवं महिलाओं को भगाने के मामले में बिहार देश के दूसरे पायदान पर है। प्रतिदिन 3 दहेज हत्या के मामले आते हैं। 2017 से 2019 के बीच बच्चों के विरुद्ध अपराध में 73% की बढ़ोतरी हुई है। हर घंटे एक बच्चा अपराध का शिकार होता है। बिहार में मर्डर केस में 50% से अधिक बच्चों के हत्या का मामला होता है। प्रतिदिन 17 बच्चों के अपहरण या भगाने का मामला सरकारी तौर पर दर्ज किया जाता है। इनमें से एक गंभीर चोट का मामला बच्चों के खिलाफ दर्ज किया जाता है। हर दिन बिहार में 2 बच्चियां बलात्कार का शिकार होती हैं। बच्चियों के खिलाफ 515 मामले यौन शोषण के 2019 में दर्ज किए गए।
इसके अतिरिक्त एनसीआरबी के आंकड़े यह बताते हैं कि बच्चियों एवं महिलाओं की तस्करी के मामलों में भी काफी वृद्धि हुई है। 2016 से 2018 के बीच 19,013 महिलायें एवं 17314 बच्चे गायब हुए हैं। या तो इनकी तस्करी हुई है या फिर ये किसी दुर्घटना के शिकार हुए हैं।

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