September 17, 2025

प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी की मांग पर दो दिवसीय भूख हड़ताल

पटना/फुलवारी शरीफ। देश के विभिन्न हिस्सों में अब तक फंसे प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी की मांग को लेकर 18-19 अप्रैल को राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत शनिवार से पूरे राज्य में कोरोना से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन करते हुए भूख हड़ताल का कार्यक्रम आरंभ हो गया है। इसका आयोजन ऐक्टू, खेग्रामस व भाकपा-माले ने संयुक्त रूप से किया है। प्रवासी मजदूरों के सुरक्षित घर वापसी, 3 महीने का मुफ्त राशन व 10 हजार रुपये लॉक डाउन भत्ता, पुलिस जुल्म पर रोक, सभी मुकदमों का खात्मा, वेतन कटौती में रोक, नौकरी से हटाने की कार्रवाई पर रोक सहित अन्य मांगों पर यह भूख हड़ताल किया जा रहा है। इसकी जानकारी चितकोहरा में शनिवार को भूख हड़ताल पर बैठे आईसा नेता आकाश कश्यप ने दी। खेग्रामस कार्यालय चितकोहरा में आयोजित इंडोर कार्यक्रम में धीरेन्द्र झा, शशि यादव के अलावा टेम्पो यूनियन के नेता मुर्तजा अली, मनरेगा सभा के सचिव दिलीप सिंह भी मौजूद थे।
धीरेन्द्र झा ने कहा कि हम एक ओर देख रहे हैं कि सरकार अमीरों और ताकतवर लोगों को घर पहुंचाने के लिए सारे उपाय कर रही है, वहीं दूसरी ओर मजदूरों को मरने-खपने के लिए छोड़ दिया गया है, उनपर लाठियां चल रही हैं और उन्हें जेल तक में डाला जा रहा है। ज्यादा मजदूर बिहार के ही हैं, लेकिन बिहार सरकार को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है। मजदूर घर लौटना चाहते हैं, इसलिए हमारी मांग है कि सरकार उनको घर पहुंचाने की गारंटी करे। विगत दिनों काशी से दक्षिण भारत के तीर्थयात्रियों को 25 बसों व 4 क्रूजर से सुरक्षाकर्मियों के साथ अमीरों को घर भेजा गया था, लेकिन प्रवासी मजदूरों को उनके रहमोकरम पर छोड़ दिया है, यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है?

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