PATNA : पूर्व मंत्री रामदेव यादव को जिला प्रशासन ने किया बेघर, यह है मामला
पटना। समाजवादी नेता व पूर्व मंत्री रामदेव यादव को जिला प्रशासन ने शुक्रवार को बेघर कर दिया। जिला प्रशासन 5वीं बार में मकान खाली कराने में सफल हो पाया है। राजधानी के एसके नगर रोड नंबर 21 में 1994 से चार मंजिला मकान बनाकर रह रहे रामदेव यादव को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हटाया गया है। इस मकान में रह रहे सात किरायेदार को भी जिला प्रशासन बाहर का रास्ता दिखाने में जुटा है। पूर्व मंत्री और उनके स्वजनों की ओर से प्रशासन से काफी विनती की गई पर किसी ने एक न सुनी।
प्रतिदिन दस हजार रुपये लगेगा दंड
सुप्रीम कोर्ट ने मकान खाली नहीं कराए जाने पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये दंड लगाने का भी निर्देश दिया है। रामदेव यादव ने पुन: जिला प्रशासन के नोटिस के बाद पटना उच्च न्यायालय में स्टे लगाने की याचिका दायर की है। इस बीच प्रशासन बड़ी संख्या में फोर्स के साथ रामदेव यादव को घर से बाहर निकाल दिया। वे अभी वृद्ध होने के कारण अस्वस्थ चल रहे हैं। प्रशासन ने पूर्व मंत्री का सामान बाहर निकलवा दिया है। साथ ही मकान में रह रहे सभी सातों किरायेदारों का समान बाहर निकलवाने का कार्य चल रहा है। इस बाबत पटना सदर अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि न्यायालय के निर्देश के आलोक में मकान खाली कराया जा रहा है। बिहार राज्य आवास बोर्ड को हैंड ओवर करने जा रहा हूं। मुझे मकान खाली कराकर आवास बोर्ड को सौंपने का निर्देश मिला है।


रामदेव यादव बोले, मेरे साथ हो रहा अन्याय
पूर्व मंत्री रामदेव यादव ने कहा कि मेरे साथ अन्याय हो रहा है। मैंने ऋण लेकर मकान बनाया है। उन्होंने कहा कि मेरे नाम पर जमीन आवंटन हुआ था। पटना हाईकोर्ट में स्टे लगाने की याचिका दी गई थी, इमरजेंसी नहीं होने के कारण न्यायालय स्वीकार नहीं किया। इस बीच जिला प्रशासन गलत तरीके से जबरन मकान खाली करा रहा है। अब वृद्धावस्था में कहां जाएंगे। कार्रवाई के दौरान उदास पूर्व मंत्री मकान खाली होते देखते रहे। जबकि उनके पुत्र देवाशीष यादव ने प्रशासन से विनती की मगर किसी की एक न सुनी गई।
क्या है मामला
पूर्व मंत्री रामदेव यादव को बिहार राज्य आवास बोर्ड ने 1991 में तीन कट्ठा का प्लॉट आवंटित किया था। 2011 में आवास बोर्ड ने रामदेव यादव के आवंटन को रद कर दिया था। इस पर मंत्री रहते हुए उन्होंने मकान का निर्माण कराया था। पार्वती ओझा ने रामदेव यादव के नाम पर जमीन आवंटित होने के बाद आवास बोर्ड में शिकायत दर्ज कराई थी। न्याय नहीं मिलने पर पार्वती पटना हाईकोर्ट, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक गईं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में निर्देश दिया कि जमीन पार्वती ओझा को उपलब्ध कराई जाए।

