पालीगंज के लोकप्रिय किसान नेता डॉ. श्यामनन्दन शर्मा की भाकपा-माले में वापसी

पटना। पटना जिले के पालीगंज के जाने-माने किसान नेता, वरिष्ठ चिकित्सक और हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. श्यामनंदन शर्मा मंगलवार को भाकपा-माले में पुन: शामिल हो गए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भाजपा जैसी संविधान विरोधी फासीवादी ताकतों को केवल वामपंथ ही मुकम्मल जवाब दे सकता है। हमारा तजुर्बा कहता है कि देश की आम जनता और किसानों के विकास का एजेंडा सिर्फ लाल झंडे के पास है।
उन्होंने किसानों की लगातार हो रही उपेक्षा पर केंद्र व बिहार सरकार को घेरा और कहा कि ये दोनों सरकारें घोर किसान विरोधी हैं। आज पूरा सोन नहर प्रणाली सूखने के कगार पर है, लेकिन भाजपा-जदयू को इससे कोई लेना देना नहीं है। बिहार की बड़ी वामपंथी पार्टी होने के नाते, चाहे भाजपा के फासीवादी हमले से मुकाबले की बात हो या किसानों के अधिकारों के लिए लड़ने का, भाकपा-माले के कंधों पर बड़ी जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई को आगे बढ़ाने में खुद को शामिल करने के लिए ही पार्टीे में शामिल हो रहा हूं।
वहीं भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य, पूर्व विधायक व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव कॉ. राजाराम सिंह, पार्टी के पूर्व सांसद कॉ. रामेश्वर प्रसाद और बिहार के चर्चित किसान नेता कॉमरेड केडी यादव भी उपस्थित थे। मौके पर राजाराम सिंह ने कहा कि डॉ. श्यामनन्दन शर्मा फिर से हमारे साथ हैं और हमें उम्मीद है कि बिहार में किसानों को संगठित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
बता दें डॉ. शर्मा के राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1967 में महामाया प्रसाद के नेतृत्व में कांग्रेस विरोधी छात्र आंदोलन में एक प्रखर छात्र नेता के रूप में हुई थी। आंदोलन के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई और उन्हें एक माह टाटा जेल में बिताना पड़ा, जहां वे कम्युनिष्ट विचारधारा से प्रभावित होकर सीपीआई के सदस्य बन गए। 1972 में पालीगंज में उन्होंने एक क्लिनिक खोला तथा किसान आंदोलन का नेतृत्व करना आरंभ किया। वे पटना जिला किसान सभा के अध्यक्ष बनाये गए। 2018 में जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा का सदस्य बने और फिलहाल इस दल में केन्द्रीय कार्यसमिति का सदस्य, राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं नीति निर्धारक कोर कमिटी के सदस्य थे।

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