December 5, 2025

पटना के एक डॉक्टर परिवार कर रहा कोरोना मरीजों की सेवा, डॉ. पति-पत्नी व पुत्री बने हैं कोरोना वारियर्स

फुलवारी शरीफ ( अजीत )। पटना के एक डॉक्टर का पूरा परिवार इस वैश्विक महामारी कोरोना की लड़ाई फ्रंट फूट पर आकर लड़ रहा है। यह परिवार है पटना एम्स के डॉक्टर संजीव कुमार का। हृदय रोग के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. संजीव पटना के कंकड़बाग में रहते हैं। रोजाना एम्स में जाकर ड्यूटी कर रहे हैं। डॉ संजीव पटना एम्स के कॉर्डियोलॉजी विभाग के हेड हैं तो उनकी पत्नी डॉ रंजना कुमार प्रख्यात नेत्र रोग चिकित्सक हैं। वहीं इस डॉक्टर दम्पति की बिटिया आन्वी अलक्ष्या मणिपाल हॉस्पिटल से इंटर्नशिप कर रही है। माता-पिता पटना में तो बेटी मणिपाल हॉस्पिटल में कोरोना वारियर्स के रूप में कोरोना मरीजों की सेवा में जी जान से लगे हैं।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच डॉक्टरों की चुनौती बहुत बड़ी है। ऐसे में पटना एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग हेड डॉ संजीव, पत्नी डॉ. रंजना कुमार, दृष्टि आई केयर क्लिनिक कंकड़बाग और मनिपाल हॉस्पिटल से इन्टर्नशिप कर रही उनकी बेटी आन्वी अलक्ष्या कोरोना वारियर्स के रूप में काम कर रही हैं। डॉ संजीव ने बताया कि उन्हें फक्र है कि मेडिकल की इंटर्नशिप कर रही उनकी बेटी आन्वी अलक्ष्या कोरोना से लड़ने वाले मरीजों और कोरोना के प्रति जागरूकता का काम इस उम्र से ही कर रही है। एक डॉक्टर पिता के लिए यह बहुत ही गर्व करने वाली बात है। पिता-पुत्री दोनों ही अलग अलग अपनी- अपनी कोरोना वारियर्स की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं, इससे उनका पूरा परिवार भी काफी ख़ुश है। डॉ संजीव ने बताया कि शुरूआत में जब कोरोना का प्रसार सामने आया तो सात दिनों तक वे अपने पटना के कंकड़बाग़ स्थित घर भी नहीं जा सके थे। ऐसी परिस्थितियों में भी उनका परिवार का पूरा सहयोग उन्हें मिलता रहा। कोरोना वारियर्स की सेवा के दबाव के बीच भी समय निकाल कर अपनी बेटी से वीडियो कॉल करके पिता-पुत्री दोनों एक दूसरे का हालचाल लेते रहते हैं। ऐसे समय में जब हज़ारों स्वास्थ्यकर्मी ख़ुद कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वैसे में थोड़ी चिंता तो बेटी के लिए होती ही है लेकिन बेटी से बातचीत कर निश्चिंत हो जाता हूँ।
वहीं प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजना कुमार ने कहती हैं कि बेटी आनवी अलक्ष्या यहां से 1500 दूर उडुपी जिले के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज मनीपाल में इंटर्न है। आनवी पटना के सेंट जोसेफ कौन्वेन्ट स्कूल की छात्रा थी। एमबीबीएस की परीक्षा मार्च में पास होते ही देश कोरोना की चपेट में आ गया था और छुट्टियों में लाॅकडाऊन होने से आनवी घर भी नहीं आ सकी। फिर नये इंटरनों को काॅविड-19 की रिजर्व टीम में रखा गया। तब से वो वहां कोरोना के रोगियों की देखभाल के लिए लगी हुई हैं। इधर उनके चिकित्सक माता-पिता पटना में कोरोना के विरुद्ध लडाई में योध्दा बने हैं। पिता डाॅ. संजीव कुमार, एम्स पटना के कार्डियक सर्जरी के विभागाध्यक्ष कोरोना से निपटने के योजना में अग्रणी भूमिका में है तो माता प्रसिध्द नेत्ररोग विशेषज्ञा डाॅ. रंजना कुमार, दृष्टि आई केयर क्लिनिक कंकड़बाग में इमरजेंसी मरीजों को देखने के साथ-साथ कोरोना में आंख के संक्रमण पर जागरुकता फैला रही है। काम की व्यस्तता के बीच बेटी की चिन्ता तो होती ही है, तो समय-समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अस्पताल में ही उसका हालचाल ले लेते हैं। फिक्र के साथ साथ फक्र भी होता है कि बेटी अपने चिकित्सीय पेशे में शुरु से ही समर्पण की भावना से कोरोना के मरीजों की सेवा में लगी है। यही कामना करता हूं कि सावधानी एवं सतर्कता से इस वायरस का मुकाबला करे, आम जन के साथ सभी चिकित्सकर्मी भी सुरक्षित रहें।

स्वभाव से काफी मिलनसार और मरीजों से फ्रेंडली रूप से पेश आने वाले डॉ. संजीव अपनी चिर परिचित मुस्कान के लिए भी प्रसिद्ध हैं। डॉ संजीव ने कहा कि आज स्वास्थ्यकर्मी दुनिया भर में कोविड-19 के ख़िलाफ़ चल रही लड़ाई की एक बड़ी कीमत चुका रहे। कोरोना से ये लड़ाई वायरस और आपके इम्यून सिस्टम के बीच होती है। किसी के अंदर जितने ज़्यादा वायरस होंगे, उसके दूसरों को संक्रमित करने की आशंका भी उतनी ही ज़्यादा हो जाती है, ऐसे में जितने ज़्यादा वायरस होंगे, शरीर को उतनी ज़्यादा मेहनत भी करनी पडती है। चिकित्सकों और कोरोना वारियर्स इतनी बड़ी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए कोरोना को हराने में जुटे हैं। डॉ संजीव बताते हैं कि पटना के कंकड़बाग़ स्थित अपने घर से जब वे एम्स के लिए निकलते हैं तो अपने साथ ही परिवार के दूसरे सदस्यों की चिंता भी घेरे रहती है, साथ ही हम इस अंदाज़े पर काम कर रहे हैं कि जो मरीज़ दूसरी बीमारियों के लिए हमारे पास आ रहे हैं वे कोरोना वायरस से पीड़ित नहीं हैं या वे इस वायरस के कैरियर नहीं हैं। इस तरह से हम फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर इस महामारी से लड़ रहे हैं।

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